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नव किरण का रथ सजा है,
कली कुसुम से पथ सजा है,
दिलों से अनु चोरों ने स्वर्ण पूरी पोशाक धारी।
आ रही रवि की सवारी

बंदी और चारण,
आ रहे हैं कीर्ति गायन,
छोड़कर मैदान भागी तार को
आ रही रवि की सवारी !

देखकर या
रात का राजा खड़ा है राह में बनकर भिखारी
आ रही रवि की सवारी

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