Source: Unsplash.com

दनुिया में कोई भी चीज अच्छी या बुरी या अच्छी होती वास्तव में वह हम पर निभभर करता है कक हम उस वस्तु का उपयोग किस तरह से करते हैं ।

आज की इस भागती दौड़ती दनुिया में ककसी के भी पास इतिा वक्त नहीं है कि वह किसी के घर जाकर उससे  बातचीत कर सकें।

अगर हम आज ही के समय का ही उदाहरण ले लें तो कोरोनावायरस की वजह से दनुिया भर में लोगों का यहां वहां जाना जैसे  बंद हो गया और कई लोगों से तो उनका व्यवसाय भी छूट गया था । लेकिन एक चीज थी जिसने हम सबको जोड़ कर रखा था हमारे सोशल साइट

अगर मैं इसके बारे में कहूँ तो यह एक सोशल नेटवर्किंग जिसे घूमने वाले, व्यजक्तयों को वेबसाइटों और वेब आधारित (Web based) Application का उपयोग करते हुए एक-दूसरे के संपर्क (Contact) में रहने की अनुमति देता है। फेसबुक, ट्ववटर और व्हाट्सएप सोशल नेटवर्किंग साइट्स के उदाहरण हैं।

मैं इस बात से बिल्कुल सहमत नहीं हूँ कि सोशल साइट्स ने हमें एकाकी प्रववृि का बना दिया है बल्कि मेरा यह सख्त मानना है कि सोशल साइट्स ने हमें सिर्फ जोड़ने का काम किया है न ही सिर्फ इस देश के अंदर बल्कि पूरे विश्व भर से।

उसका सबसे बड़ा उदाहरण है आज जो हमें एक दूसरे से जुड़ने का मौका अपनी अपनी कलाओं को प्रस्तुत करनी का मौका मिला है वह एक सोशल साइट की वजह से।

कोरोनावायरस के वजह से सारे स्कूल, कॉलेज, कार्यस्थल, सभी जगह पर बंदी लग गई  लेकिन हमारे सोशल साइट ने हमें फिर भी एक दूसरे से बांधे रख अगर यही सोशल साइट ना होते तो ना जाने कितनी ही बच्चों का 2 साल का वक्त बर्बाद हो गया होता l

सोशल साइट्स जैसे यूट्यूब ले कई लोगों को रोजगार भी प्रदान किया है जैसे अरववंद अरोड़ा  जिन्होंने इंजीनियरिंग की पढाई तो की लेकिन उन्हें कहीं नौकरी ना मिल पाई  लेकिन उन्होंने यूट्यूब पर जानकारी पूर्ण वीडियोज बनाकर नाम कमाया और रोज़गार भी पाया।

सोशल साइट्स ने बच्चों को देश भर से  जुड़ने का मौका दीया जैसे मैं अपना ही उदाहरण ले लू तो अप्रैल से अगस्त तक हुई एक बहुत ही बड़ी  बिजनेस प्रतियोगिता मैं भाग ले पाई जिसने पूरे विश्व के बच्चों को मौका दिया की वे अपनी  व्यवस्था एक कलाओं को रख पाए और उन्होंने सभी बच्चों के सोच को बढावा भी दिया।

अगर मैं बताऊं आपको कुछ महीनों पहले हुई हिंदी मेले के बारे में वह भी इसी तरह जूम पर ही हुई थी और उसके  बारे में इंफॉर्मेशन हमें व्हाट्सएप पर मिलती थी। व्यवसाय भी सोशल मीडियामा  का उपयोग कर फोन पर या कंप्यूटर पर लक्षित कर रहे हैं, कुछ कंपनियों, जैसे डैनी ने ट्विटर पर संपूर्ण व्यक्तित्व तैयार किया ताकि युवा उपभोक्ताओं को अपनी भाषा और व्यजक्तत्व का उपयोग करके बाजार में लाया जा सके।

कई सोशल साइट्स जैसे यूट्यूब, टिक टॉक और इंस्टाग्राम ने लोगों को अपनी कलाओं को दनुिया के सामने प्रस्तुत करनी का मौका दिया और नाम कमाने का मौका भी दिया जिससे उन्हें रोजगार भी मिला।

सोशल मीडिया उनकी आवाज भी बन सकता है जो समाज की मुख्यधारा से अलग है और   उनकी आवाज को दबाया जाता है ।सोशल मीडिया के द्वारा अपनी आवाज आम लोगों के बीच पहुंचा कर जागरूकता फैलाई जा सकती है।

कई सर्वेक्षण से यह पता चला है कि दनुिया भर में अधिकांश लोग रोजमर्रा की खबरें सोशल साइट्स जैसे लिंकडइन, फेसबुक, ट्वीटर से पाते हैं।

ऐसे कई और सोशल साइट्स है जिन्होंने विद्यार्थियों को भी उनकी शिक्षा मदद की है जैसे  twiducatu, classroom aur brainly.

लेकिन मैं फिर से अपनी बात दोहरान चाहती हूँ कि किसी भी चीज का उपयोग हम किस तरह करते है और उसे समय बचाने के लिए या अपना समय बर्बाद करनी के लिए करते हैं  यह हम पर निर्भर करता है क्योंकि खराब या बासी  खाना या ज्यादा खाना भी हमें पेट दर्द या बदहजमी की ओर ले जा सकता है।

.   .   .

Discus