Image by Jai Bhutani from Pixabay 

उमड़ पड़ा सैलाब उस मां की गोद पर
जिसने सौंप दिया अपने लाल को
देश की रखवाली करने को
अमर हो गए वीरों तुम
अमर हो गए वीरों तुम

उमड़ पड़ा सैलाब उस बुज़ुर्ग पिता की लाठी पर
जिसने सौंप दिया अपने सपूत को
देश को सहारा देने को
अमर हो गए वीरों तुम
अमर हो गए वीरों तुम

उमड़ पड़ा सैलाब उस पत्नी की सिंदूरी मांग पर
जिसने सौंप दिया अपने सुहाग को
देश की सुंदरता संवारने को
अमर हो गए वीरों तुम
अमर हो गए वीरों तुम

उमड़ पड़ा सैलाब उस नटखट बहेन की राखी पर
जिसने सौंप दी अपनी ढोर को
देश की कलाई में बांधने को
अमर हो गए वीरों तुम
अमर हो गए वीरों तुम

उमड़ पड़ा सैलाब उस मासूम बच्चे की मुस्कुाहटों पर
जिसने सौंप दी अपनी मुस्कान को
देश के लबों पर मुस्कुराने को
अमर हो गए वीरों तुम
अमर हो गए वीरों तुम

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