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वर्तमान समय में अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में एक शब्द प्रमुखता से सुनाई दे रहा है जो है डिजिटल मुद्रा। विश्व के विभिन्न देश अपनी पारंपरिक मुद्रा के स्थान पर डिजिटल मुद्रा के उपयोग की संभावनाओं को परखने के साथ-साथ डिजिटल मुद्रा लागू करने की तैयारियों में लगे हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है और हमारे देश में भी डिजिटल मुद्रा का परीक्षण प्रारंभ हो चुका है। ऐसे में यह प्रश्न उत्पन्न होना भी स्वाभाविक ही है कि क्या केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी कागजी मुद्रा को चलन से बाहर कर देगी? 

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मुद्रा विनिमय का साधन है और सामान्यतः किसी व्यक्ति की क्रय शक्ति क्षमता को भी प्रदर्शित करती है। वर्तमान में लगभग सभी देशों में कागजी मुद्रा चलन और अस्तित्व में हैं। साथ ही विज्ञान और तकनीकी के युग में आज ऑनलाइन माध्यम से भी भुगतान करना संभव हो गया है जिसमें मुद्रा का प्रत्यक्ष रूप से कोई लेनदेन नहीं होता। ऑनलाइन माध्यम से लेनदेन की बढ़ती लोकप्रियता और विभिन्न ई-वाॅलेट के बढ़ते उपयोग को ध्यान में रखते हुए कई देशों की सरकारें अपनी डिजिटल मुद्रा निर्गत करने के विषय में गंभीरतापूर्वक सोच रही हैं। अटलांटिस काउंसिल के अनुसार विश्व के 11 देश डिजिटल करेंसी लागू कर चुके हैं जबकि 86% देश डिजिटल करेंसी लाने की तैयारी में लगे हुए हैं। हमारे देश ने भी इस दिशा में कदम बढ़ा दिया है और केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल करेंसी लागू करने हेतु एक पायलट प्रोजेक्ट प्रारंभ किया गया है।

अब यदि डिजिटल मुद्रा की बात की जाए तो सबसे पहले 1983 में डेविड चॉम ने डिजिटल कैश की परिकल्पना पेश की थी। डिजिटल मुद्रा धन का एक इलेक्ट्रॉनिक रूप है जिसे कोई भी संपर्क रहित लेनदेन में उपयोग कर सकता है। यह कंप्यूटर, स्मार्टफोन तथा इंटरनेट आदि के माध्यम से लेनदेन का मार्ग प्रशस्त करती है। इसे डिजिटल मनी और साइबर कैश के रूप में भी जाना जाता है।

डिजिटल करेंसी के तीन प्रमुख रूप हैं -

  1. क्रिप्टो करेंसी वह डिजिटल मुद्राएं हैं जो नेटवर्क में क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करती हैं, जैसे- बिटकॉइन तथा एथेरियम।
  2. वर्चुअल करेंसी एक अनियमित डिजिटल मुद्रा है जैसे- गेमिंग टोकन।
  3. केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राएँ (CBDC) किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा निर्गत विनियमित डिजिटल मुद्राएँ हैं जो केंद्रीकृत या विकेंद्रीकृत की जा सकती हैं।

भारतीय डिजिटल मुद्रा की बात करें तो एक ई-रुपया या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी एक संप्रभु मुद्रा है। यह दो रूपों में उपलब्ध है जिनमें से खुदरा ई-रुपया नकदी का एक इलेक्ट्रॉनिक संस्करण है जो मुख्य रूप से खुदरा लेनदेन के लिए है और निजी क्षेत्र, गैर-वित्तीय उपभोक्ताओं एवं व्यवसायों द्वारा उपयोग हेतु उपलब्ध होगा जबकि थोक CBDC को चयनित वित्तीय संस्थानों तक सीमित पहुँँच हेतु बनाया गया है।

ई-रुपया एक डिजिटल टोकन के रूप में होगा जो कानूनी निविदा का प्रतिनिधित्व करता है। यह कागज़ी मुद्रा और सिक्कों के समान मूल्यवर्ग में ज़ारी किया जाएगा और मध्यस्थों यानी बैंकों के माध्यम से वितरित किया जाएगा। आरबीआई के अनुसार, उपयोगकर्त्ता विभिन्न चयनित बैंकों द्वारा प्रस्तुत किये गए डिजिटल वॉलेट के माध्यम से ई-रुपयों के साथ लेनदेन करने में सक्षम होंगे। लेनदेन व्यक्ति से व्यक्ति और व्यक्ति से व्यापारी दोनों हो सकते हैं।

जहाँ तक केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी के प्रभाव का प्रश्न है, अपनी विशेषताओं के कारण यह कागजी मुद्रा के चलन को अवश्य प्रभावित करेगी। अब यदि CBDC के लाभ या विशेषताओं की बात करें तो प्रकृति में डिजिटल होने के कारण किसी व्यक्ति द्वारा इसे हानि पहुँचाने की कोई संभावना नहीं है। इसी प्रकार कागजी मुद्रा की तुलना में इसके कटने, फटने, गलने, खोने अथवा चोरी होने आदि का भी भय नहीं रहेगा तथा इसका जीवनकाल असीमित होगा। इसके उपयोग हेतु कार्ड, डिजिटल पेमेंट एप या इंटरनेट बैंकिंग एक्सेस की भी आवश्यकता नहीं होगी।

केंद्र सरकार के अधिकार में होने से बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में इसमें अस्थिरता का खतरा कम है। इसकी सहायता से मध्यस्थ रहित अंतरराष्ट्रीय लेनदेन सरल एवं सहज हो सकेगा। साथ ही प्रत्येक लेनदेन का पता सरलतापूर्वक लग सकेगा। यह खुदरा उपयोगकर्ताओं तथा सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को अपनी साख सिद्ध करने में सहायता प्रदान करेगी और काले धन पर लगाम कसने में भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगी। 

केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी के उपर्युक्त लाभों तथा देश में ऑनलाइन लेनदेन की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए हम कह सकते हैं कि डिजिटल मुद्रा के उपयोगकर्ताओं की संख्या में निरंतर वृद्धि होती रहेगी और अपने इन्हीं गुणों के कारण केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी कागजी मुद्रा का पूर्ण रूप से स्थान लेते हुए अंततः उसे चलन से बाहर कर देगी। 

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