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संसार में मूल्यवान वही होता है जो या तो दुर्लभ होता है या जिसका कुछ महत्त्व होता है तथा उसका मूल्य और भी अधिक होता है जिसका ना तो उत्पादन किया जा सकता है और ना ही उसे नियंत्रित किया जा सकता है। ‘समय’ उनमें से सबसे प्रमुख है। दुनिया में आने वाले प्रत्येक मनुष्य के पास एक निश्चित मात्रा में समय होता है जो उसके जन्म लेने के समय से ही निरंतर एक नियमित गति से घटता जाता है और जो क्षण व्यक्ति एक बार जी लेता है वह दोबारा उस जीवन में लौटकर नहीं आता। अतः समय अत्यंत ही मूल्यवान होता है।
वास्तव में समय जीवन का सबसे मूल्यवान तत्व है। इसका न तो कोई आरंभ है और न ही कोई अंत। इसे न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है। समय ही एकमात्र आयाम है जिसमें हम सभी अपना जीवन जीते हैं और यह हमारे द्वारा किए जाने वाले हर कार्य को प्रभावित करता है, एक फूल के बढ़ने के चक्र से लेकर साम्राज्यों के विनाश तक संसार में सब कुछ समय के ही आधीन है।
समय लैटिन भाषा के Tempus, अंग्रेज़ी के Time, फ़्रान्सीसी के Temps और जर्मन के Zeit का हिंदी रूपांतरण है। समय के पर्यायवाची या समानार्थी शब्दों के रूप में वक्त, पल, घड़ी, दिन, काल, अवधि, अंतराल, युग, अवसर और दौर आदि शब्दों का भी प्रयोग किया जाता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार समय एक भौतिक राशि है। जब समय बीतता है, तब घटनाएँ घटित होती हैं तथा चलबिंदु स्थानांतरित होते हैं। इसलिए दो लगातार घटनाओं के होने अथवा किसी गतिशील बिंदु के एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक जाने के अंतराल (प्रतीक्षानुभूति) को समय कहते हैं। समय मापने के यंत्र को घड़ी अथवा घटीयंत्र कहते हैं। इस प्रकार हम यह भी कह सकते हैं कि समय वह भौतिक तत्व है जिसे घटीयंत्र से नापा जाता है।
समय अतीत से वर्तमान और भविष्य की ओर गति है। आप घड़ी से समय बता सकते हैं और कुछ भी करने में समय लगता है। समय मापी गई या मापने योग्य अवधि है जिसके दौरान कोई क्रिया, प्रक्रिया या स्थिति मौजूद होती है या जारी रहती है।
समय वास्तव में क्या है? भौतिकी में, समय को भौतिक राशि में परिवर्तन के माप या घटनाओं की अवधि को मापने के लिए उपयोग किए जाने वाले परिमाण के रूप में परिभाषित किया जाता है। इस प्रकार भौतिकशास्त्र समय को अतीत से वर्तमान और भविष्य की घटनाओं की प्रगति के रूप में परिभाषित करता है।
समय को वास्तविकता का चौथा आयाम माना जा सकता है, जिसका उपयोग त्रि-अंतरिक्ष में कहानियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है। यह ऐसा तत्व नहीं है जिसे हम देख सकें या छू सकें लेकिन हम इसे माप सकते हैं। समय तीन प्रकार का होता है। भूतकाल, वर्तमान काल, भविष्य काल।
समय एक मूल्यवान वस्तु है जो हम सभी के पास होती है, लेकिन यह सीमित है और एक बार जब यह गुजर चुका है तो हम इसे वापस नहीं पा सकते। इसलिए, समय के महत्व को पहचानना और इसका सदुपयोग करना बहुत आवश्यक है।
प्राय: हम बीते हुए समय की स्मृतियों में खोए रहते हैं या आने वाले समय की कल्पना में रमे रहते हैं, परंतु वर्तमान को अनदेखा करते हैं। यह भी एक प्रकार से समय की उपेक्षा है, क्योंकि वर्तमान ही वास्तविक समय है। हमें उसके महत्व को समझना चाहिए।
समय का महत्व हमें इस बात की भी याद दिलाता है कि समय कभी वापस नहीं आता है। चूँकि एक बार गया समय वापस नहीं आ सकता है, इसलिए हमें समय का सदुपयोग करना चाहिए। समय हमें अनुशासन, उत्साह और संगठन की शिक्षा देता है। यह हमें नियमितता और कार्यकुशलता की महत्ता को समझाता है।
जिसने समय पर प्रत्येक कार्य को किया वह समय के छूटने से कभी दुःखी नहीं होगा। वास्तव में बीता हुआ समय किसी भी मूल्य पर लौटकर नहीं आता। समय का मोल पहचानने वाले न तो स्वयं समय बर्बाद करते हैं और न अपने आसपास किसी को करने देते हैं।
महात्मा गांधी भी समय को बहुत मूल्यवान कहा करते थे। दांडी यात्रा के समय की बात है। गांधी जी तेज-तेज चलते जा रहे थे। उनका ध्यान लक्ष्य की ओर था। सभी के बहुत आग्रह करने पर वह थोड़ी देर के लिए एक स्थान पर रुक गए। तभी एक अंग्रेज व्यक्ति उनसे मिलने आया।
गांधी जी को देखकर वह बोला, ‘हैलो मिस्टर गांधी, मेरा नाम वाकर है।’ गांधी जी ने उसकी तरफ देखा फिर बोले, ‘आप वाकर हैं तो मैं भी वाकर हूँ।’ प्रत्युत्तर में इतना कहकर वह अपनी यात्रा पर आगे चल पड़े। तभी एक व्यक्ति उनके पास आया और बोला, ‘आपको उनसे मिल लेना चाहिए था। पता है वह कौन थे? आपका नाम तमाम अंग्रेजी अखबारों में छपता, अगर उनसे मिल लेते तो आप प्रसिद्ध हो जाते।’ गांधी जी ने उसकी बात का संक्षिप्त सा उत्तर दिया, ‘मेरे लिए प्रसिद्धि से अधिक कीमती मेरा समय है।’
समय की प्राथमिकता यह सिखाती है कि हमें अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समय का उपयोग सही ढंग से करना चाहिए। हमें अपने कार्य को महत्वपूर्ण आधार प्रदान करना चाहिए और समय को महत्व देना चाहिए। यदि हम नियमित रूप से समय का उपयोग नहीं करेंगे, तो हमारे लक्ष्य की प्राप्ति में देरी हो सकती है और हम अपनी सफलता के अवसर खो सकते हैं। समय के सही उपयोग के माध्यम से हमें अपनी सोच का विकास करने में मदद मिलती है। जब हम अपने पूरे कार्य के लिए समय निर्धारित करते हैं और उन्हें समय पर करते हैं, तो हम समय का सदुपयोग करते हैं। समय का सही उपयोग हमें अपने कार्य में संयम और दृढ़ता का अनुभव कराता है, जो हमें सफलता की ओर ले जाता है।
समय बहुत कीमती है और हमें समय को किसी भी तरह बर्बाद नहीं करना चाहिए। समय को पैसे से अधिक मूल्यवान माना जाता है, क्योंकि हम पैसे खर्च करते हैं और कमाते हैं, लेकिन हम अपने खोए हुए समय को वापस नहीं पा सकते। हमें समय का सदुपयोग करना चाहिए। इंसान की कोई भी अवस्था हो, उसे अपने समय को ही कीमती समझना चाहिए।
जैसा कि सभी जानते हैं कि हमारे पास समय की तीन अवस्थाएँ हैं – अतीत, वर्तमान और भविष्य। मनुष्य अपने अतीत से सीखता है क्योंकि यही वह समय है जिससे मनुष्य गुजर चुका है। और फिर यह मनुष्य को उसके भविष्य के लिए तैयार करता है। लेकिन वर्तमान समय अपने भविष्य के लिए और अधिक करने का समय है। इसलिए अपना वर्तमान समय बर्बाद न करें, यह आपके भविष्य के लिए बहुत उपयोगी होगा।
वर्तमान क्षण ही एकमात्र ऐसा समय है जिस पर वास्तव में हमारा नियंत्रण है। अतीत हमारे पीछे है तथा भविष्य अनिश्चित है और शायद कभी नहीं आएगा। वर्तमान क्षण ही वह समय है जब हमारे पास कार्य करने, निर्णय लेने और जीवन का अनुभव करने की शक्ति होती है।
समय धन से भी ज्यादा कीमती है, क्योंकि यदि धन को खर्च कर दिया जाए तो यह वापस प्राप्त किया जा सकता है। हालांकि, यदि हम एक बार समय को गंवा देते हैं, तो इसे वापस प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
डिकेन्स का कथन है, 'कोई ऐसी घड़ी नहीं बना सकता, जो मेरे बीते हुए घंटों को फिर से बजा दे।' समय की कीमत कौन आँक सकता है ? हाँ, समय पर काम न करने की क्षति का अनुभव सबको कभी न कभी अवश्य होता है।
समय मानव की बहुमूल्य निधि है। समय हृदय पर लगी चोट को सहलाता है, मानव के आँसू पोंछता है, दिल पर लगे घावों को भरता है- 'Time is the best healer'. युद्ध की विभीषिकाएँ समय के साथ समाप्त हो जाती हैं। ईर्ष्या, राग, द्वेष, घृणा, विद्रोह रूपी मनोविकार समय के साथ शान्त हो जाते हैं। समय की यह महानता चुनौती-रहित कार्य है, जो 'समय ही सबसे बड़ा धन है', इस अटल सत्य को स्वीकार कराता है।
मानवीय तृष्णाएँ समाप्त नहीं होती, मानव समाप्त हो जाता है। मानव के पास इतना समय है कि वह बीतता नहीं, मानव ही बीत जाता है। कैसी विडम्बना है ? समय को नष्ट करने वालों को समय ही नष्ट कर देता है।
श्रीमद् आद्यशंकराचार्य का कथन है- 'समय को व्यर्थ खोना जीवन की अपूरणीय हानि है।' 'काव्यशास्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमताम्। व्यसनेन तु मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा' -बुरे कार्यों, निद्रा, लड़ाई-झगड़े में समय की बरबादी मूर्खता की निशानी है। समय काटे नहीं कटता। 'कोई कार्य नहीं', ऐसा सोचना मस्तिष्क की शून्यता है। मस्तिष्क की शून्यता अर्थात् विवेकहीनता, जो शैतान का घर है।
समय का मूल्यांकन करते हुए एडमंड वर्क का कहना, 'The great instructor time'. अर्थात् महान् शिक्षक समय। बेकन लिखते हैं- 'Time, which is the author of authors.' समय: जो लेखकों का भी लेखक है। शेक्सपीयर का तो यहाँ तक विश्वास है, 'The sprit of the time shall teach me speed.' समय की आत्मा मुझे गति सिखा देगी। क्योंकि शेक्सपीयर शब्द को अश्रव्य और निःशब्द चरण मानते हैं।
इस संसार का हर प्राणी किसी न किसी कारण चिन्तित है, किन्तु समय को किसी की चिन्ता नहीं। उसे किसी की प्रतीक्षा नहीं। वह तो तीव्र गति से अबाध बह रहा है। समय की गति को पहचान कर कार्य करने वाला भाग्यशाली है, धनी है, सिद्ध पुरुष है। समय जब द्वार पर दस्तक देता है, उसकी आवाज को सुनने के लिए सतर्क रहने वाले लाभ उठा गए और जो दैव-दैव पुकारते रहे, वे जीवन में पिछड़ गए। समय रूपी अश्व की तीव्र गति ने उन्हें धूल चटा दी।
समय के बारे में एक सामान्य कहावत है कि, समय और ज्वार-भाटा कभी किसी की प्रतीक्षा नहीं करते हैं। यह बिल्कुल पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व की तरह ही सत्य है, अर्थात जिस तरह से पृथ्वी पर जीवन का होना सत्य है, ठीक उसी तरह से यह कहावत भी बिल्कुल सत्य है। समय बिना किसी रुकावट के निरंतर चलता रहता है। यह कभी किसी की प्रतीक्षा नहीं करता है। इसलिए, हमें जीवन में कभी भी अपने कीमती समय को बिना किसी उद्देश्य और अर्थ के व्यर्थ नहीं करना चाहिए। हमें समय के अर्थ को समझना चाहिए और इसे सकारात्मक ढंग से उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रयोग करना चाहिए।
स्मरण रहे कि अगर आप सही समय पर अपना काम करते हैं तो ठीक, अन्यथा समय का वह पड़ाव गुजर जाता है। इसके साथ ही आपके जीवन में आया हुआ अवसर भी आपसे दूर हो जाता है। समय और अवसर एक दूसरे के अभिन्न मित्र हैं, जिन्हें तनिक भी लापरवाही पसंद नहीं है। ऐसे में जिस किसी भी व्यक्ति ने समय गंवाया मानो उसने अवसर भी गंवा दिया।
धन नष्ट होने पर परिश्रम कर प्राप्त कर सकते हैं, विद्या नष्ट हो जाए तो ज्ञानार्जन कर फिर से प्राप्त कर सकते हैं। यश और कीर्ति नष्ट हो जाए तो उसे भी प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन खोए हुए समय को वापस प्राप्त नहीं किया जा सकता, इसलिए समय को नहीं गंवाना चाहिए।
लोग अक्सर कहते हैं, क्या करें… समय ही नहीं मिलता! लेकिन समय का सदुपयोग करने वाले ऐसा कभी नहीं कहते। हम सभी के पास एक दिन में चौबीस घंटे का ही समय होता है, यह हम पर है कि हम उसका सदुपयोग करते हैं या दुरुपयोग।
प्रकृति और समय कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं करते। हवा, पानी, मौसम, दिन-रात… ये सब हम सबके लिए हमेशा एक जैसे रहते हैं। अमीर-ग़रीब, बच्चे-बूढ़े सभी के लिए समय एक जैसा रहता है। हां, समय का सही उपयोग न करके या समय को व्यर्थ गंवाकर हम अपना भविष्य ज़रूर ख़राब कर देते हैं। यदि हम आज समय की क़द्र करेंगे, तभी समय कल हमारी क़द्र करेगा।
प्राय: लोग अपने सही समय की प्रतीक्षा करते रहते हैं, लेकिन असल में आपके पास उपलब्ध समय का प्रत्येक क्षण ही सही होता है। सिर्फ आपको उसका उपयोग करना आना चाहिए। समय बहुत शक्तिशाली भी होता है। वह किसी को भी घुटने टिकवा सकता है। ऐसे में समय को रोकने या उसके विरुद्ध जाने से बेहतर है कि हमें उसके साथ कदमताल करके चलना चाहिए। कबीरदास जी के शब्दों में -
काल करे सो आज कर,आज करे सो अब।
पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब।।