जिंदगी की किताब में मैंने,
बहुत से पन्ने भर दिए,
बचे थे जो खाली,
अब प्रभु चरणों में धर दिए,
चाहा ना चाहा, जाने अनजाने,
रिश्ते क़िस्से बनते गए,
जिंदगी चलती गई,
हम भी उसमें बहते गए,
पाया जितनी बीती जिंदगी,
कुछ ना उसका मोल था,
अब प्रभु के हाथ में है मेरी जिंदगी, पाया सब अमोल था,
ऐसे ही अब चलती रहे जिंदगी,
प्रभु कृपा की आस है,
न्योछावर है अब उनपे जीवन,
जो सब के पालनहार है।

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