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कुछ दोस्त पुराने छूट गए,
कुछ अपने हमसे रूठ गए,
था फासला कुछ पलों का,
पर बदल गए अब वो पल दिनों में,
 दिन महीनों में और बदल‌ गए महीने कब सालों में पता हीं ना चला।
कुछ यादें पुरानी याद आती है।
कुछ खट्टें कुछ मीठें से एहसास एगा जाती है दिल में,
कहती हैं ये यादें मुझसें, मुझसे मिलना है मुमकिन हर पल नहीं,
पर हमारी वो खट्टी- मीट्ठी यादों के एहसास के पलों को हमसे छीन लेने की
किसी में है इतनी दम नहीं।
वो मशरूफ अपनी जिंदगी में,
मशरूफ है हम भी अपनी जिंदगी में।
है सबका अपना परिवार, अपना घर-संसार,
क्या सोचता होगा वो कभी बचपन में बिताए दोस्ती के वो पल चार,
क्या आता होगा याद उसे भी वो खट्टी - मीठी बातों के एहसास के पल दो- चार,
क्या आता होगा याद उसे अब भी वो बचपन का जमाना, जहां खेले हम साथ- साथ।
शायद आता होगा याद उसे भी वो बचपन का जमाना जब-जब देखता होगा वो,
खेलते हुए बच्चों के बचपन का जमाना।
हां याद आता हीं होगा उसे भी अपनें बचपन का जमाना।
हुआ अचानक पता नहीं दिल को क्या,
करने लगा जिद अचानक ही
करने मिलन एक बार फिर अपने दोस्त पुराने से,
जी ले फिर एक बार बचपन के वो दिन जो शायद न लौटे बार बार
वो खाना खाना एक टिफिन से,
स्कूल का रास्ता साथ साथ आना जाना,
एक पड़े बीमार तो छुट्टी मनाएं दूसरा भी,
याद आया है वो‌ रूठना मनाना भी,
वो एक हमारी बेंच जिस पर साथ हमेशा हम बैठा करते थें।
लिया खान हमने भी इस बार करेगें ताजा पुरानी यादों को,
मिलेंगे न दोस्त पुराने से, बनाएगें नई यादों का नया कारवां,
मिलकर दोस्त पुराने से।
हुआ मन फिर मिलने का।
बैठकें बातें करने का,
जो ना ली थी खबर एक दूसरे की,
बीते कई सालों से,
अब नहीं हो पा रहा था इंतज़ार,
इस दिल को कुछ चंद पलों का।
किया पता जो नया ठिकाना, पुराने दोस्त का,
रह गए हम ठहरे एक जगह ना कह पाए कुछ, ना कुछ सुन पाए,
गए थे हम तो पुराने दोस्त के पास,
बनाने नई यादों का नया कारवां,
हमें तो पता हीं नारा की हमारा पुराना दोस्त हो गया है नाराज हमसे इतना,
कि उसने तो बदल‌ लिया है अपना पता पुराना,
रहने लगा है काफी दूर,
मैं हूँ धरती पर खड़ा, वो‌चमक रहा सितारा‌ बन
आसमान में।
रह गया अधूरा एक बार फिर बचपन हमारा।
रह गया अधूरा बनाना पुराने दोस्त के संग नई यादों का कारवां,
रह गया अधूरा ये सब तो क्या हुआ,
है हमारे पास यादों का खजाना,
जो नहीं जिन सकता कोई हमसे,
याद आता एक बहुत हमे बचपन की खट्टी मीठी बातों का वो ज़माना।।

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