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हुआ कुछ यू शुरू सफर इस जिंदगी का।
ना था मंजिलो का पता, ना मिलें रास्ते।
कि था नहीं पता मंजिलो का, मिलें नहीं रास्ते।
फिर भी झुकीं नही नज़रें, ना रूके कदम।
कि न झुकीं नज़रें, ना कदम रूके अपने रास्ते।
कुछ यूं हुआ शुरू सफ़र इस जिंदगी का।।
तलाश है आँंखों को, रास्तो की और कुछ जल्दी है, कदमों को उन पर चलने की।
कि है तलाश आँखों को, रास्तों की और कुछ जल्दी भी है कदमो को, उन पर चलने की।
थोडा डर भी है मन मे, कि खोजते - खोजते रास्ता ये मन, भटक न जाए अपना रास्ता।
कि कुछ डर इस तरह भी है मन को कि खोजते हुए रास्ता भटक न जाए ये मन खुद अपना रास्ता।
पर उम्मीदों ने थामा है, दामन कुछ इस तरह, कि ये डर भी डर गया और खुद ही भटक गया अपना रास्ता।
हुआ कुछ यूं शुरू सफर इस जिंदगी का।।
साथ है उम्मीदों का दामन, साथ है विश्वास अपनो का भी, साथ है विश्वास, दुआएं और ढेर सारा आर्शीवाद भी,
कि है साथ उम्मीदें, विश्वास, दुआएं , आर्शीवाद और अपनो का प्यार।
फिर भी डर है इस मन को, कि टूट ना जाए उम्मीदें सब अपनो की,
कि है डर फिर भी इस मन को, कहीं टूट ना जाए सारी उम्मीदे अपनो की।
गर टूट गयी उम्मीदे सबकी, कैसे करेगें सामना अपनों से।
फिर भी है एक उम्मीद, इस मन को अभी भी कि ना हारे हैं, ना हारने देगें, अपनो के विश्वास को, ना होने देगें असर कम उनकी दुआओं का, लाएगाँ रंग उनका आर्शीवाद और उनका प्यार।
तो भाग गया डर, इस बार भी डर के, ना हुआ कम होसला, ना कम हुआ विश्वास इस मन का।
हुआ कुछ यूं शुरू सफर इस जिंदगी का।।
हुआ कुछ यू शुरू सफर इस जिंदगी का।
ना था मंजिलो का पता, ना मिलें रास्ते।
था नहीं मंजिलो का पता, मिलें नहीं रास्ते।
फिर भी झुकी नही नज़रे, ना रूके कदम।
कि नि झूकी नज़रे, ना कदम रूके।
कुछ यूं हुआ शुरू सफ़र इस जिंदगी का।।

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