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याद जब आई तेरी
दोस्तों ने मेहखाने में बैठाया था,
पी इतनी शराब के गम से शराब का जाम टकराया था 
बड़े दिन बाद फिर आंखों में नींद का घेरा आया था,
सोया जो गहरी नींद तो ख्वाब भी तेरा आया था
सुबह उठा तो देखा तुझे ही नज़रो के सामने अपने था,
रात में बेहोसी के हाल में, क्या मैं तेरे घर आया था
कुछ कहे बिना में उसके घर से फिर निकल आया था
उसके हाथों में लगी मेहंदी जो देख आया था,
कुछ दिनों बाद उसने फिर जख्म मेरा खुरेद दिया था 
शादी का कार्ड उसने घर भिजवाया था,
कोशिश सब नाकाम होते आंखों के सामने देख रहा था
एक तरफा था प्यार जो उससे मैं कर रहा था ,
उसके झूठे वादों को मैं सच मान कर बैठा था 
कितना बेवकूफ था मैं एक बेवफा से प्यार कर बैठा था,
उसने हम पे ईल्जाम कई मर्तबा लगाया था 
सोचता हूं क्या ये वही शक्श है जिसको सिर पर बैठाया था,
याद जब आई तेरी
तो दोस्तों ने महखाने में बैठाया था।

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