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ख्वाब में भी खुदा से ये मांगा हमने
तेरा ख्वाब भी कोई ख्वाब ना रहे
सोचा पीकर तबह करेंगे जिंदगी अपनी
क्या करे जब शराब शराब ना रहे
मेरे शजर ही तेरे नाम कर सकती हूं
मेरे आंगन में तेरे लिए गुलाब ना रहे
सवाल को अब सवाल की हैसियत से पूछ
मर जाते हैं स्वाल जब कोई जवाब ना रहे
ये रोग-ए-मोहब्बत का दर्द न पूछो हमसे
वो मोहब्बत क्या जिसमे तबीयत खराब ना रहे
ऐसी मोहब्बत से बचाए तुम सबको खुदा
जिसमे बेफवाफाई का कोई हिसाब ना रहे...

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