Image by Jeevan Singla from Pixabay 

कर तुझसे वो मीठी बातें...
मैं अपनी मां के हाथ की खीर भूल बैठा हूं
तूने अमृत जो पिलाया हाथ से...
मैं अपने शहर का सबसे मीठा नीर भूल बैठा हूं
तू मुझे दरगाह की दुआ लगती है...
तेरे चक्कर में मैं अपना पीर भूल बैठा हूं
यार ! कैसा दिखता था रब मेरा?
तुझे देख कर अब मैं उसकी तस्वीर भूल बैठा हूं
और तुझे देख कर तेरे शहर की खूबसूरती का अंदाज़ा लगाते-लगाते हैं...
अब मैं अपना शहर कश्मीर भूल बैठा हूं
अब मैं अपना शहर कश्मीर भूल बैठा हूं...

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