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हाथ में एक तलवार पीठ पीछे दामोदर घोड़े पर सवार,
हिला दी थी जिसने पूरी अंग्रेज़ी सरकार..
भूल नहीं पाओगे तुम उस औरत की कहानी को,
दिल से नमन करता हूं मैं झांसी की रानी को..

मुझे किस बात का डर है..
जब हिंदुस्तान में मेरा घर है..

आ गया जो शत्रु करके सरहद पार हमारी,
वो पड़ौसी देश शायद हमारी ताकत से बेखबर है..

रहकर सरहद पर हमारे वीर जवानो ने,
तोड़ डाली अब दुश्मन की कमर है..

कई क्रांतिवीरों ने आजादी के लिए देकर शहादत,
काम की अपनी उमर है..

मुझे किस बात का डर है,
जब हिंदुस्तान में मेरा घर है..

लहू बहाकर दिलाए आज़ादी, थी भारत के वीरो ने,
साथ दिया था उनका भी लोहे की शमशीरों ने...

मुस्कुरा कर किया कुर्बान, खुद को भारत के वीरो ने,
आज़ाद की फिर से सोने की चिड़िया, मेरे भारत के हीरो ने..

जज़्बे पर रखकर बरसो, निकल पडे थे पाने आज़ादी,
सर पर हाथ था रब का और साथ भी दिया उनकी तकदीरों ने..

क्या हिंदू, क्यों मुसलमान क्या ही सिखो की बात बताऊ,
दिखता है सबको अपना रब, अब उनकी मुस्कुराती तसवीरों मे..

यह बहती है गंगा, बहती है यमुना और भी काई नदिया,
पानी जिसका पीकर, मेरे देश के नागरिक अमर हैं..

मुझे किस बात का डर है..
जब हिंदुस्तान में मेरा घर है..

मुझे किस बात का डर है..
जब हिंदुस्तान में मेरा घर है..

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