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आज फिर कोई फरेबी पाया।
इश्क लिए वो मेरे पास आय़ा।
वही झूठा मंजर देख मुझे आया याद।
पहले भी ऐसा ही हुआ था मेरे साथ।
थी वो एक वक्त की बात ।।
जिक्र ना करूंगी उसका।
नाम ना बतलाउगी।
सिर्फ बात बताती हूं।
जो हुआ हालात जताती हूं।।
प्यार भरे लफ़्ज़ों में लपेटे वो इश्क लाया था।
दे हाथों में मुझे, मेरा ज़मीर उसने पाया था।
झूठे वादों से लिपटा हुआ फरेब सुन्दर सा दिखाई दिया।
दिल मेरे हाथों में ला उसने थमा दिया।।
फिर मेरा सम्मान आड़े आया।
श्री कृष्ण ने भगवद्गीता में बताया।
अपने आत्म सम्मान को खोकर रिश्ता जो तुमने पाया है।
तो क्या मतलब का, आत्मसम्मान खो खुदको निर्लज्जता की आग में जलाया है।।
मोहब्बत प्यार का फरेब मैंने जान लिया।
हर शख्स को मैंने पहचान लिया।
आज फिर कोई मेरे पास आया।
फिर वही फरेबी चेहरा उसने दिखाया।
वही झूठा मंजर देख मुझे फिर आया याद।
वही झूठा मंजर देख मुझे फिर आया याद।।

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