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तुम भारत भाल के टीका हो, तुम्हें जन, जननी है धन्य हुई।
है नमन झुके सिर चरनन मे, तुम्हें करत अनुभूति नयी।।
मुझे आज गर्व से कहना है, कि आपने था वह ओज भरा।
जिसे देख अंगेज थे कांप उठे, आपने था वह काम करा।।
खून था मांगा आपने जब, दूंगा आजादी कर वादा।
थे वीर हजारों निकल पड़े, अपने सिर आप कफ़न बांधा।।
दो दो फिर हाथ किये तुमने, आजाद हिंद रचकर सेना।
नेफा लद्दाख तक आ पहुंचे, चली भाग वहाँ से अरि सेना।।
मैं और भला क्या कह सकता, पर बिन बोले रह ना सकता।
बिना खड्ग ढाल के आजादी, कभी भी किसीको नहीं मिल सकता।।
तुम्हें आज नमन कर कहता हूँ, गर मृत्यु अकाल नहीं होती।
होते सुभाष ही जननायक, भारतमाँ भी खंडित ना होती।।
आजादी खातिर बर्लिन तक, तुम पहुँच गये थे भेष बदल।
हिटलर ने हाथ मिलाया तब,ले देख अतुल साहस संबल।।
दूंगा जान आसान है कहना,पर देना आसान नहीं।
"प्रेम" दिया था जान आपने,पर बेचा था आन नहीं।।

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