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तू आदि है, तू अंत है, तू शूरवीर, प्रचण्ड है
नियमो की बेड़ियों से आज तु स्वतंत्र है
तु युद्ध का उत्सव मना बारूद से दिये जला।
हुंकार भर, संहार कर, तु दुश्मनों का काल बन,
ये युद्ध की पुकार है, ये युद्ध की पुकार है,
तू आग है, तू ताप है न रुक पाए ,वो वार है,
जो आँधियों से ना डरे तु वैसा एक तूफान है
ना अस्त्र रोक पायेगा ना शस्त्र रोक पायेगा
दहाड़ कर, प्रहार कर, मृत्यु का श्रृंगार कर
ये सिन्दूर की गुहार है, ये सिन्दूर की गुहार है
तू रक्त से सना हुआ, तू पीड़ा से भरा हुआ
चिंगारियो के ज़लज़ले मे, मौत से घिरा हुआ।
तुझे जिंदगी का वास्ता,ना मौत को गले लगा
आगाज कर, ललकार कर, तू दुश्मनो पर वार कर
ये हिन्द की हुंकार है, ये हिन्द की हुंकार है।।

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