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दुख हरता कहते तुमको और कईं हैं नाम तुम्हारे।
कोई गौरी सुत कहता कोई तुम्हें गणेश पुकारे।।
सब देवों में प्रथम पूज्य होने का तुमने वर पाया।
मां-पिता की कर प्रदक्षिणा तुमने मान बढ़ाया।।
कईं बार देवों के तुमने असुरों से प्राण बचाए।
जब भी भीड़ पड़ी देवों पर द्वार तुम्हारे तब आए।
क्रोधासुर को कर पराजित देवों के कष्ट निवारे।।
कोई गौरी सुत कहता कोई तुम्हें गणेश पुकारे।।
लड्डू का तुम भोग लगाओ मूषक रही सवारी।
जो भी तेरे द्वारे आया उसकी जीवन लीला तारी।।
शिव से वर पाकर लोभासुर स्वर्ग लोक पर चढ़ आया।
कर पराजित तुमने उसे सब देवों का मान बढ़ाया।।
शिव जनक के साथ-2 कार्तिकेय हैं भ्रात तुम्हारे।
कोई गौरी सुत कहता कोई तुम्हें गणेश पुकारे।।
वेदव्यास तुमरे कारण ही महाभारत को लिख पाए।
कर्तव्यों के कारण ही तुम सब देवों में श्रेष्ठ कहाए।।
हे गजानन तुम हमको शरण में सदा ही रखना।
भटक न जाऊं कहीं मैं पल-पल मुझको तकना।।
विघ्न हरण, मंगल करण और कईं हैं नाम तुम्हारे।
कोई गौरी सुत कहता कोई तुम्हें गणेश पुकारे।।

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