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सोचा था बना लूं एक घर मैं
तेरी ही निगाहों में
ढूंढ़ना नहीं पड़ेगा दीदार के लिए
कभी किसी राहों में।

मेरा घर होगा हमारा आशियाना
न ढूंढ़ना पड़ेगा हमें कोई बहाना
जब दिल करेगा इक दूजे में खो जाएंगे
ऐसा खूबसूरत शहर न कहीं और हम पाएंगे।

इक दूजे के गले में पा लेंगे पनाह हम
इक दूजे के सदा रहेंगे मददगार हम
न हम भूल पाएंगे तुझे न तुम भूलोगे मुझे
ऐसा सपनों का महल निगाहों में बनाएंगे।

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