हे गोवर्धन, गिरधारी
सारे जग में महिमा थारी।
आए शरण तिहारी।
विपदा सारी हरो हमारी।
हे दुख भंजन, हे त्रिपुरारी।।
कोपित इंद्र अति वृष्टि कीन्ही ।
त्राहि- त्राहि मची गोकुल माही।
दौड़े -भागे गए सब कान्हा पाही।
रक्षा करो ,बचाओ कान्हा मोही।
हे गोवर्धन, हे गिरधारी।।
छोटी उंगली गोवर्धन धरी लिन्हो कान्हा।
रक्षा बृजवासीन की किन्हीं कान्हा।
प्रताप कान्हा का इंद्र जब जाना,
शरण आय पड़े, चरणन माही।
हे गोवर्धन हे गिरधारी।।