जय जय राम भक्त हनुमान।
राम सिया जिनके हिय बसते, जानत सकल जहान।
अन्जनी नन्दन, भव भय भंजन, केसरी प्राण प्यारे।
पवन पूत, हे राम दूत, प्रभु ऋषि मुनि संत सहारे।।
शंकर सुवन , भुवन चौदह में, प्रभु तेरा है सम्मान।
ओ एकादश रुद्र, क्रुद्ध हो, कपि निशिचर संघारे।
तुलसीदास को आस तिहारी कलि में आप सहारे।।
संत सरल तुम्हें प्राण प्यारे , उन सबकी तुम जान।
राम कथा के वक्ता, श्रोता, अद्भुत आप रचयिता।
लीला में भी आप पात्र हो, संत सहाय कथयिता।।
सीताराम सदा जप रत रह, करते मंगल कर्म महान।
चिरंजीव अमरत्व प्राप्त तुम, प्रभु का दरश कराते।
निर्भर होते भक्त, सशक्त, जो शरण तुम्हारी आते।।
मक्खन चार युगों में तेरा, प्रभु संत करें गुण गान।
जय जय राम भक्त हनुमान।
राम सिया जिनके हिय बसते , जानत सकल जहान।।