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मौत का अदृश्य घेरा है
घिरा चहुं ओर है।
मरने वाला बेफिकर है,
बात यह कुछ और है।
है सिकुड़ता हर पलों में,
पास आता जा रहा।
है अभी सब दूर जानें,
ना करे कोई गौर है।।
किस घड़ी यह रूबरू,
होगी भला किसको पता,
और इसका रूप कैसा,
जाने होगी क्या खता।
मृत्यु के नजदीक हैं पर,
दिख रहे मुहजोर हैं।
है अभी सभी दूर जाने,
ना करे कोई गौर है।।
हम लड़े एक दूसरे से,
मिल के रहते क्यूं नहीं।
जंगली वर्ताव करते,
सोचते रहना यहीं।
धंधे ऐसे ऐसे करते "प्रेम"
ना कोई ठौर है|
है अभी सब दूर जाने,
ना करे कोई गौर है।।

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