Photo by Douglas Lopez on Unsplash

अकेली हो गई हूॅं ऐ जिंदगी,
मेरी माँ की तरह मेरे सर को सहला कर,
गले से लगा लोगी क्या….
खाना नही है खाया सुकून से,
मेरी माँ की तरह मुझे प्यार से बहला कर,
खाना खिला दोगी क्या….
सोई नही हूॅं काफी रातो से,
मेरी माँ की तरह मुझे थपकी दे कर,
सुकून की नींद सुला दोगी क्या….
रोती हूॅं जब चोट लगती है,
मेरी माँ की तरह मुझे फुसला कर,
चुप करा दोगी क्या….
मेरे रूठ जाने पर, मेरे ना खाने पर,
मेरे ध्यान ना रखने पर, मेरी लापरवाही पर,
मेरी माँ की तरह अपनी कसमे देकर मना लोगी क्या…

.    .    .

Discus