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बड़े प्यार-दुलार से बिटिया
पली थी मां-बाप के आंगन में
एक पल में ही पराया कर दिया
एक विवाह के बन्धन ने।

पितृ गेह को छोड़कर उसने
पिया घर को अब स्वीकार किया
जिस घर में बिखरी थीं यादें
उसको अब अस्वीकार किया।

बेटा चला प्रदेश कमाने
बचपन का घर हुआ दुर्लभ
दूर देश में समय बिताना
उसकी नियति बन गई अब।

मां-बाप और प्यारा घर
समझो है अब प्रदेश बना
प्रदेश में किराए का घर ही
लाड़ले का है स्वदेश बना।

है कैसी विडम्बना यह
नियति का है कैसा खेल
औरों के संग मेल हुआ है
मेल वाला है बना बेमेल।

विवाह के बाद बिटिया परदेशी हुई
कमाने गया बेटा हो गया परदेशी
अपने साथ पाने को है तरस रहे
औरों के साथ बांट रहे हैं खुशी।

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