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बहशी दरिंदों को रोकना जरूरी है,
घर में जाकर उनके ठोकना जरूरी है|
शर्म आये उनको अपनी बहन के सामने
भाई कहला न सके घर में यह जरूरी है|
कब तक ये भेड़िये शहर शहर घूमेंगे
नाजों से पली बेटी की अस्मत लूटेंगे
सिखाना है बेटियों को हथियार उठाना
बेटियों के सुदर्शन चक्र से ही दरिंदे टूटेंगे|
सजा मिलेगीदरिंदे को ,आबरू को तार- तार किया
न्याय कब मिलेगा पीड़िता को दानवता को सहन किया
क्यों बार बार नारी को शर्मसार किया जाता है
कानून बनेगा कि चोराहे पर फांसी पर लटका दिया|
कोई तो सजा ऐसी हो कि ये सजा से थर्रा जायें
जेल नही हल इनका है तुरंत संज्ञान लिया जाये
वरना केस चलेंगे लम्बे कब तक उतर देना होगा
पीड़िता के माता- पिता को दर्द सहन करना होगा|
अब न कोई निर्भया श्रद्धा अब समाज में न हो
इंतहा हो गई एक औरत ही दर्द को समझे नहीं
कानून बना कर तुरंत संज्ञान ले पास करा लो
अब तो जाग जाओ नारी की अस्मिता पर||