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पिता जिनकी उंगली पकड़कर चलना मैंने सीखा,
जिंदगी में उन्होंने ही मुस्कुराना भी तो है सीखा।
पिता ही ने तो सबकुछ जिंदगी में सीखाया है,
पिता ने ही तो संसार को मेरे महकाया है।
पिता ने छत देकर जिंदगी का उपहार दिया है,
पिता ने ही तो जिंदगी देकर उपकार किया है।
पिता से ही तो रहा संसार मेरा प्यारा सा है,
पिता के मुस्कुराने से ही तो चेहरा मुस्कुराता है।
पिता ने ही इस जिंदगी को देकर उपकार किया है,
पिता ने ही पढ़ने लिखने से लेकर इंसान बनाया है।।