Image by Satheesh Sankaran from Pixabay

दिवाली का त्योहार आया,
हर घर में प्रेम का दीप जलाया।
नफरत की दीवारें पिघल चलीं,
प्रेम की रोशनी फिर से खिली।

अमावस की रात का साया,
दीपों की जगमगाहट से कुम्हलाया।
अंधकार पर प्रकाश की जीत,
हर दिल ने महसूस की प्रीत।

हर घर-आँगन रौशन हुआ,
रंगोली से श्रृंगार सजा।
मिटा द्वेष का हर अंश,
दिलों में उमड़े प्रेम के अंश।

मिट्टी के दीप जलाए सभी ने,
जैसे अंधेरों से लड़ने चले सभी ने।
लक्ष्मी के स्वागत में हर द्वार,
जैसे प्रेम से सजाया संसार।

बच्चों की हंसी, पटाखों की धमक,
जैसे खुशियों का हो संगम।
हर चेहरा खिला, हर मन महका,
दिवाली का ये त्यौहार सबको अच्छा लगा।

पुराने गिले-शिकवे भूलाकर,
हम प्रेम से फिर गले मिलें।
दिवाली का यही तो संदेश,
प्रेम से बंधें, न कोई द्वेष।

मिठाई की मिठास में बसी है,
एकता की वह मधुर महक।
भाईचारे की यह दीपावली,
हर दिल को करती हल्की।

दीपों की पंक्ति हर ओर,
नफरत के अंधकार को करें भोर।
हर दिल से हर दिल का नाता जुड़ा,
मानो नई खुशियों का दीपक जला।

यह पर्व है प्रेम का, अपनापन का,
सभी के साथ चलने का।
आओ इस दिवाली पर हम,
हर बैर को छोड़, प्रेम से भरें हर कदम।

अंधेरों में रोशनी का संचार हो,
हर हृदय प्रेम की माला में पिरो।
दिवाली का यही सच्चा अर्थ है,
प्रेम से रोशन हो जीवन का पथ।

नफरत की हर दीवार टूटे,
प्रेम की ज्वाला फिर से फूटे।
आज की रात एक नई शुरुआत,
हर दिल में प्रेम की हो बात।
आओ मनाएं प्रेम की दिवाली,
हर द्वार सजाएं खुशी से खाली।
दिवाली का संदेश यही,
प्रेम और शांति का दीप जले सही।

.    .    .

Discus