Image by dasanudas from Pixabay

जग समझे लब की भाषा,नैनो की बात ना समझे
होड़ तोड़ की दुनिया में कोई जज़्बात ना समझे
सच कहता हूं राधा तुझ से कसम मै अपनी खा के
तुझ बिन दिल न लागे राधा,तुझ बिन दिल न लागे
कोई उत्सव राधा तुझ बिन दिल को रास ना आए
कोई चेहरा, कोई आंखें , अब मेरे दिल ना भाए
हर तरफ हैं मेरे अपने पर सच तुझको बतलाऊं
संघर्षों की समर भूमि में , याद तेरी ही आए
तुम रहती हो हर पल राधा, मेरी आंख के आगे
तुझ बिन दिल न लागे राधा,तुझ बिन दिल न लागे

.    .    .

Discus