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बस ये ही तमन्ना है, दु:ख दूर रहे, सुख साथ रहे ,
हे प्यारे प्रभु शिव! हरदम मेरे, सर पे तेरा हाथ रहे।

हर कार्य हो सफल मेरा, आए न कोई विग्न कभी ,
जो भी हों मुश्किलातें, हो जाएं वो मुझ से दूर सभी।

पंचतत्वों की है यह देह बनीं, नश्वर है यह जीवन ,
सत्कर्म करके ही रख पाएंगे, इसको हम पावन।

मिट्टी का है ये बुत हमारा, माटी में ही मिलना है ,
किस का करें घमंड, जब साथ न कुछ चलना है।

ऐसी कमाई कर के जाएं जग से, करें सब याद ,
करे हर कोई बखान यहां, न करे कोई फरियाद।

हम सब हैं मुसाफिर, यह दुनिया है मुसाफिर खाना ,
होता ही रहता है, हम सब का यहां पर आना जाना।

हे परम पिता शिव परमात्मा, रहना हरदम साथ तुम ,
हर कष्ट में , हर मोड़ पर, थाम लेना आकर हाथ तुम।

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