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त्रेता युग में जन्मे थे रत्नाकर,
प्रचेता के पुत्र, भील ले गये उठाकर,
कुख्यात डाकुओं सा जीवन बिताया,
मरा मरा कह, राम को ह्रदय में बसाया||
अपने तप गया से बने,
वैदिक काल के ऋषि महान,
वाल्मीकि जग में कहलाये,
समस्त सद्गुणों की खान||
करुणा वेदना फूटी ह्रदय से,
प्रथम काव्य बना विधान,
संस्कृत रामायण की रचना,
बना आश्रम उनका पावन धाम ||
गर्भवती सीता मैया को दिया,
तुमने सहारा बेटी सम जान,
लव कुश जन्मे कुटिया में उनकी,
दिया वेद पुराण का सभी ज्ञान||
रामायण का घर घर होता,
सुख समृद्धि का गुणगान,
राम सम चरित्र हो सभी का,
पुत्र मिले सबको राम समान||
युगों युगों तक पढ़ती रहेगी
दुनिया रामायण का पाठ,
बारंबार नमन तुझको,
शास्वत वाल्मीकि तेरी ठाठ||

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