Image by Daniel Kirsch from Pixabay 

पशु पक्षी के प्रति संवेदनशील धरती का प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका है। जैसे मूल के बिना पेड़ संभव नहीं है वैसे ही जीव दया के बिना मनुष्य का जीवन निरर्थक है। जीव जंतु मनुष्य की तरह बोल नहीं सकते परंतु उनके मन में प्रेम संवेदना दर्द तथा सुख दुख की भावना होती है।

वे जब तक जोखिम नहीं देते तब तक वह स्वयं को असुरक्षित महसूस नहीं करते हैं। आज संसार में पशुओं का उत्पीड़न जिस बुरी तरह किया जाता है उससे भावना सील मनुष्य का मन बुरी तरह दुखी होता है। जानवरों का हमारे देवी देवताओं से भी संबंध है। पौराणिक अवतारों की सूची देखें तो कई जानवरों जैसे चूहा शेर मछली नंदी आदि देवताओं के वाहन है। जैन धर्म में 24 तीर्थंकरों ने जन्म लिया सब जन्म के साथ ही उनके पैर में जानवरों तथा पक्षियों के चिन्ह बने होते हैं। इसी से उनकी पहचान होती है कि वह कौन से तीर्थंकर है।

विभिन्न संस्थाएं तथा सरकार पशुओं और पक्षियों के लिए कार्य कर रही है। यदि सरकार को किसी तरह से यह पता चल जाए तो उनके विरुद्ध कार्यवाही भी की जाती है मनुष्य का यह नैतिक कर्तव्य है कि पशु पक्षी जीव जंतुओं के प्रति मधुर व्यवहार बनाए रखें। गोपालन के प्रति हमारी सरकार विभिन्न तरह के उपाय कर रही है।

एक बार की बात है उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन थे। उन्हें महत्वपूर्ण विषय पर समय पर संसद में बोलना था। पर अचानक उन्होंने देखा कि एक सूअर दलदल में फस गया है। और अपनी रक्षा के लिए चिल्ला रहा है तथा खुद भी मेहनत कर रहा है। अब्राहम लिंकन उसकी वेरना को देखकर द्रवित हो गए। आव देखा न ताव अपने धवल कपड़ों में दलदल में कूद गए। सूअर को बाहर निकाला देरी के कारण उन्होंने अपने वस्त्र भी नहीं बदले। गंदे कपड़ों में ही वे संसद में पहुंच गए। जब सारे लोगों ने यह देखा तो किसी अनहोनी आशंका से कांप गए। अब्राहम लिंकन ने सारा वृतांत बताया सब लोग अपने राष्ट्रपति की दया भावना देखकर नतमस्तक हो गए। और उनके सम्मान में सिर झुका लिया। इस तरह की इतिहास में अनेक कहानियां घटनाएं है। पशु पक्षी जानवर हमारी जीव दया के पात्र हैं।

.    .    .

Discus