Image by Richi Choraria from Pixabay 

मैं मूक हूँ, बुद्धिहीन हूँ;
पर संवेदनशील हूँ
मैं शक्तिहीन हूँ ,अज्ञानी हूँ ,कुछ नासमझ भी;
पर भावनात्मक हूँ ।

तुम मुझे प्रेम करो;
तो मैं रक्षक बनू
तुम मेरा शिकार करो;
तो मैं भक्षक बनू
क्या करूँ मैं भी तो आत्मरक्षक हूँ।

पीड़ा मुझे भी होती ,
जो तुम मुझसे बुरा व्यवहार करो;
मैं प्राणी हूँ,
मुझसे अमानवता ना करो।

मैं तो नादान हूँ,
राहों पर पड़े प्लास्टिक को भी भोजन समझूँ;
बीच रास्तों को अपना घर बनादूं;
दर दर प्रेम के लिए भटकूँ
कभी किसी के पीछे कही भी चलदू ।

मैं भी एक जीव हूँ ,
वेदना मुझे भी हो,
लेकिन किसे बताऊँ;
मैं बोल ना सकूँ,
बस प्यार की भाषा जानूँ।

मैं मूक हूँ,
इस पृथ्वी पर एक अस्तित्व हूँ।। 

.    .    .

Discus