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कारगिल की चोटी चढ़ पाक को कहा अभी खिसक,
सैन्य शक्ति ने दिखाया पाक के नापाक इरादों को जंगी सबक,
16 हजार फीट की ऊँचाई चोटी पर थी ऐसी खनक,
हम तो नीचे ही खड़े थे, दुश्मन ने दी थी ये धमक,
कब वो घुसते चढ़ गए, न लग सकी हमको भनक,
सिर फिरे नापाक को तब चढ़ी थी ये सनक,
छोड़ी जवानों ने भी चुप्पी तोड़ दी उनकी ललक,
देश की बागडोर थामे तब खड़े थे वो "अटल " ( वाजपेयी जी),
जल्दी करो अब आर- पार, कहीं युद्ध ही न जाए टल,
झोंक दो पूरी ही ताकत, महायुद्ध ही अंतिम है हल,
मस्त सैनिकों मे बढ़ गई जज्बे की उनकी कौतूहल,
तान ली बंदूक - तोपें क्या धरा और क्या गगन,
हर शहीदों की चिता देख, जलने लगा पूरा वतन,
वार हो दमदार ऐसा कट मरें गद्दार सब,
चीन के दंभ पर टिके थे पाक के गुनाहगार सब,
सहमे सभी सैनिक थे मेरे " बोफोर्स " के बदनाम से,
भारत के नेता बन गए " बोफोर्स दलाली " कर गए जाने सभी पदनाम से,
विश्वनाथ जी ने भ्रमित कर जीत ली गद्दी दलाली के संज्ञान से,
खुद तो सत्ता पा लिए, स्वयं खुद के ही गुणगान से,
राज फिर भी दब गया बोफोर्स के अंजाम से,
कारगिल में सफल निकला " बोफोर्स " का गोला शान से,
कर दिया दुश्मन सफाया, सब भागते परेशान से,
बोफोर्स के स्व चाल से गए सब जान से,
मिट गया आरोप सारा दलाली के वो बदनाम से,
मर मिटे मेरे भी सैनिक पराक्रम के परवान से,
शव को ताबूत मे सजाकर घर घर भेजे अभिमान से,
गाँव शहर ऐतिहासिक बना निकली शवयात्रा सम्मान से,
राजनीति ने फिर गिराया भारत को एक अपमान से,
ताबूत घोटाला कह दिया मस्तिस्क के अज्ञान से,
बोफोर्स ने ही जिताया श्रेष्ठतम तकनीक विज्ञान से,
26 जुलाई 1999 दुश्मन भागे कोहराम से,
कारगिल चोटी पर लहरा तिरंगा आं बान और शान से,
सर उठा के जी रहें हम देश के अभिमान से,
जय विजय का है दिवस ये जंग जीतना था जरूरी पराक्रम, शौर्य व ताकत की ही पहचान से,
आओ मिलकर हम मनाएं, कारगिल विजय दिवस को पूरे ही स्वाभिमान से,
जय विजय का है दिवस कहते सभी कारगिल दिवस हैं…. 2
(अमर वीर शहीदों को समर्पित)
शत् शत् नमन 

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