जागता हूँ मै देर तक, लिखता अंधाधुंध,
विषमृत् होती यादें अब,राहें दिखती धुंध,
लिखते-लिखते थक जाता जब आँखें लेता मूंद,
भ्रष्ट आचरण,भ्रष्ट आवरण के दंष से गिरते अश्रु बूँद !!
कैसे हो प्रतिकार भ्रष्ट का , तलवार हैं मेरे कुंद ,
राम भरोसे हम बैठे हैं, लगता है भाव मुकुंद,
बगियों मे सतरंगी पुष्पें , दिखते बाल मुकुंद,
चलो शहीदी भाव दिखा दें, गिरे रक्त की बूँद !!
क्यों हम अत्याचार सहेंगे, कर आवाज में गूंज,
खुद को जानो, ताकत पहचानो, तुम हो शक्तिपुंज,
अलख जगाओ, युग बदलो तुममे ही ज्योति पुंज,
दाग ढूंढते रहेंगे सारे अंगारों मे,खोजेंगे ओस की बूंद !!
प्रकृति प्रेम-प्रवाह दिशा मे भौरें और मिलिंद,
वैचारिक क्रांति शुभ शुभ हो, खुशियों मे सुबिन्द्,
ईश भक्ति और देश भक्ति मय सुर ताल संगीत,
मानवता हो केंद्र में, आपस मे रीत व प्रीत !!