कलम सम्राट प्रेमचंद का जाने चलो अतीत,
बदल बदल कर नाम बनाते आज़ादी के मित,
ब्रिटिश भी तब समझे यह तो विद्रोही प्रतीत,
कथा, उपन्यास, विचार में गढ़ते आज़ादी के गीत!!
मार दुलत्ती अंग्रेजों की नौकरी,किया था देश प्रेम से प्रीत!
इसी प्रीत से जगा- जगाया आज़ादी संग्रामी रीत!
ब्रिटिश शासन चाल समझकर प्रेमचंद के हुई विपरीत!!
सोजए- वतन पुस्तक जलवाया, प्रेस जलाया दमन किया, अँग्रेज हुए भयभीत!!
इंकलाबी इन बातों से प्रेमचंद की हो गई जीत!
गबन, गोदान, कफन के हर कथा में मिलता अद्भुत ग्रामीण चिंतन संचित!
प्रेमचंद की लेखनी मे दिखता क्यों हम आज़ादी से शोषित, पीड़ित,वंचित!!
हर कथा, उपन्यास के एक- एक पन्ने में मिलता राष्ट्रीय क्रांति भाव अभिसिंचित!
बंदूकों की ताकत को रौंद कर "कलम" की ताकत का एहसास कराया निश्चित!
उर्दू, हिन्दी, अंग्रेजी की भाषा अपनाकर आंदोलन भाव किया सुनिश्चित!
ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी को "भारत रत्न " न देने से पूरा देश है चिंतित!!

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