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धीरे धीरे बढ़ती खाँसी, शरद ऋतु मे सर्दी- खाँसी,
कंठ गले को जैसे फांसी, बलगम छींक है सर्दी खाँसी,
बहती नाकें, लाल हो आँखें, तंग करे ये सर्दी खाँसी,
टोपी, मफ़्लर, जैकेट,कंबल राहत दे जब सर्दी खाँसी!!
अनुभव बड़े हैं सुरसूरी- खोंखी, देशी नुस्खा भारतवासी,
पियो पानी गरम,जड़ी बूटी का काढा,
भागेगा ये सर्दी खाँसी,
यह उपचार ग्रामीण करें,दूर पहाड़ या जंगल के वासी,
शहरों मे यह रोग बड़ा है, हृदय घात कहे डॉक्टर प्रवासी !!
खूब प्रदूषण,धुँवा,धूल, पर्यावरण है जल की प्यासी,
कटते पेड़,जले कोयला लकड़ी,फैले इससे सर्दी खाँसी,
तरस रहे स्वच्छ पीने को पानी पनघट, नल हर घर के वासी,
अधिक दिनों न रुकती खाँसी, समझो वही कुकुर की खाँसी !! - लौंग,मुलेठी,दालचीनी,गोलकी, अदरक मिटाये खाँसी,
मधु, गोलकी पाऊडर मिला जो खाये , दूर भगाये कालि खाँसी,
अनुलोम-विलोम,कपाल भाती, दूर करे सब सर्दी खाँसी,
स्वस्थ,मस्त रहें, करें योग, व्यायाम
तभी दिखेगा मथुरा- काशी !!

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