Image by jorono from Pixabay

वन्दे मातरम् की भाषा
वर्षों से हमने जानी है,
स्मृति शेष शहीदों की
इसमे जुड़ी कहानी है,
बंकिम दा की देश
भक्ति मे अमर कृत निशानी है,
150 वर्षों से जगाती वन्दे मातरम्गी
त बड़ी पुरानी है!!

सब कहते हैं, गीतों के भावों में,
युग युग में युवा जोश जिस्मानी है,
फांसी फंदे तक चूमे शहीदों को,
याद कराती उनकी वही जवानी है,
वन्दे मातरम् कहते कहते हमने,
याद रखी उनकी कुर्बानी है,
आज देश मे हममे कुछ को,
वन्दे मातरम् जय घोष से हैरानी है!!

संविधान ने राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम्,
को दर्जा दिया सलामी है,
फिर धर्म- पंथ के द्वेषपूर्ण रंग,
घोंपते खंजर करते क्यों नीलामी है?
देश प्रेम के ढोंगी सेकूलरों,
"वन्दे मातरम्" कहने पर क्यों सुनामी है?
वन्दे मातरम् के द्वारा ही आज़ादी की गढ़ी कहानी है,
आज़ादी के शहीदों ने नारा यही स्वीकारी है!!

देश के घर घर के बेटे ने इस नारे पर ली अंगड़ाई थी,
फांसी के फंदों को चूम फौलादी लड़ी लडा़ई थी,
मजहब धर्म से उपर उठकर "वन्दे मातरम्" गायी थी,
उस पूरे काल खण्ड में कहाँ कड़वाहट आयी थी?

.    .    .

Discus