तुफ़ानों का मुंह मोड़ तू,
मेहनत का पत्थर ऐसा तोड़ तू ,
अपने गम को यूं छोड़ तू ,
तू कर हर मैदान फतेह ।।
गिर कर हर बार ना हार तू ,
शेर की तरह कर वार तू ,
कर हर मैदान फतेह ।।
चिंगारी रख दिल में अपने ,
टूट न पाए कोई एक भी सपने ,
आएगा हर कोई पीठ को थपने,
तू कर हर मैदान फतेह ।।
दूनिया में भरा हुआ ये गम है ,
टैंसन किसको पड़ी ये कम है ,
ठोकेगी सलाम जब तक तुझमें दम है ,
तू कर हर मैदान फतेह ।।
तुझमें खो जाएगी दुनिया ,
पाल तू अपने अंदर ज़ुनूनियां ,
दुश्मन को कर चीत्त तू सुनिया,
क्योंकि
तू कर हर मैदान फतेह ।।