मुझे याद आती गयी की मै सताई गयी.कहना ओर बोलना जब भी चाहा मै चुप कराई गयी.
जब मुस्कुराना चाहा तब मुझे खामोशीयो मै रेहने की सलाह थमाई गयी.
हर वो नज़ारा जो मैने देखना चाहा या ना देखना चाहा पर मेरी आंखे अपनी किस्मत समझ मुस्कुराती गयी.
याद आती गयी की मै सताई गयी...
जब कभी कोई अनजान चेहरा अपना लगने लगा ओर मै अपनी मुलाक़ातें यूँ बढाती गयी
कब खरोच गया कोई मेरे अंतर मन को ये मै लगातार बताती गयी.
याद आती गयी की मै सताई गयी.
हर वो बातें जो मुझे जीना सिखाती थी मै उनसे दूर जाती गयी.
कुछ इस तरह मेरी हर आकांशाऐं दबाई गयी
याद आती गयी की मै सताई गयी
कहना ओर बोलना जब भी चाहा मै चुप कराई गयी!!