ठोकरों में जो था पडा फिर भी नजरों मे बराबर था गडा ,बिखरा सा पडा उठाने को कोई जब गिर सा पडा ,कहीं से  बहुत ही उँची आवाज है आईं इसके लिए हमनें कहीं से बहुत ही कीमती रस्मे हैं मगवाई,फितुर जब  बढता गया पत्थर ओर भी ज्यादा कीमती होता गया ।

लपेट कर उसे बडे सलीके से ,कोई अपनी झोली भर  गया,

लोट कर जब कहानी आई फिर कीसी ने आवाज लगाई,वो तो पत्थर है तुमने क्यो कर अपने पिछे तिजोरी है मगवाई,बडे सिधे शब्दों में जवाब है आया ।

ये वही  पत्थर है भाई जिससे होने वाली है अपनी कमाई, घिसता गया पत्थर करता गया कोई उससे अपनी कमाई ,किसी ने पूछ लिया;यह वही पत्थर है भाई,जिसे मिलों दुर तक जाकर  ढूंढ कर लाते हैं भाई,

कीमती होता तो रास्ते मे कयो पडा होता बडे मनें से पूछ लिया किसी ने क्या जवाब न देने की कसम है खाई,

किमत जब पहचानी किसी ने सिधे जोहरी को है आवाज़ लगाई ।की केसी है यह चमक आकर तुम देख लो जौहरी भाई,।

यह पत्थर नहीं है कुदरत का अनोखा कमाल है मेरे भाई ।

कह कर चला गया मुसाफ़िर ,हम फिर लग गए अपनी  किस्मत आजमाने । शायद फिर मिलों दुर के सफर पर हो जाना ढूंढने को उसे क्योकि उसकी चमक अब तक आंखो  मे है समाई ,क्योकी वही बो पत्थर है जिसनें कईयों की किस्मत  है बनाई ये पत्थर है बङा कीमती किसी ने बात कुछ यूँ समझाई ।

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