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मुझे कोई बताये वापसी का रास्ता की लौट कर जाते कैसे है. संसार ने जो नाम दे रखा जहाँ एक दिन सभी आराम फरमाते है. (समसान )!
मैंने देखा सारा जहां सुख भी दुख भी और रखा था सभी कुछ संभाल. अब लो वही छोड़ गए मुझे यहाँ जिसे कहते है समसान.
अब मै हु एक दर पर ना जाने कौन सा है द्वार किसे कहते है स्वर्ग या नर्क मरने के बाद सब इक सामान.
कुछ रिश्ते जाने अनजाने जो शायद भुलाये नहीं भूलते या फिर रह जाते है कुछ अनजान कई सवाल जो पीछे छूट गए जिनसे कुलबुलाती और बिलखती आत्मा किसी की किसी से बिछरे हुए या फिर किसी जंग मे लूट चुके किसी राजा के समान.
भूल चुके अब दुनिया वाले और पीछे छूट चूका अपना समाज और हर वो मुकाम जो कभी था अपने नाम.
सुलगती लकड़ियों के उपर किसी इक कपडे मै लिपटा पड़ा है वो शख्स जो था कभी महान या फिर बहुत महान.
क्या खोया क्या पाया सब मिट कर इक समान जैसे किसी शून्य मै हो गया हो सब कुछ विलीन.
अगर याद करले कोई मुझे या फिर मेरे द्वारा किये कोई काम तो शायद मै समझू खुद को महान.
कोई बताये मुझे की वापस कैसे जाते है उस दुनिया (संसार) मै,
क्योंकि ये मै (आत्मा) सोच रहा हूँ मेरे मेरनोपारंत!