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माना बहुत व्यस्त है जीवन
समय किसी के पास नहीं है
लेकिन गर बाजार में मिले
कुछ फुर्सत के पल ले आना
और कहीं पर गर मिल जाए
थोड़ा सा अपनापन ममता
वृद्ध पिता माता की खातिर
भी थोड़े से पल ले आना
दूभर बहुत बुढ़ापा होता
लेकिन आता सबके सामने
सभी बराबर इसके सामने
रिश्तो के है नहीं मायने
साथ बैठ कर बात तो करो
बीते हुए कुछ पल ले आना
वृद्ध पिता माता की खातिर
भी थोड़े से पल ले आना
ज्योतिपुंज हम नहीं गगन के
नित उजास लेकर आएंगे
कपकपा रही देह की बाती
श्वास थम गई चुक जाएंगे
निकले आत्मा आसानी से
ऐसा अंतस बल ले आना
वृद्ध पिता माता की खातिर
भी थोड़े से पल ले आना

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