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मैं सच हूं तूफान साथ में लेकर चलता हूं
सारा हिंदुस्तान साथ में लेकर चलता हूं

मैंने युग देखे हैं सब में जनम मरण देखा
सत्ता मद में लिपटा हर इक समीकरण देखा
देखा पुत्र मोह भी देखा वध अभिमन्यु का
बलशाली वीरों के सम्मुख चीरहरण देखा
इन सब का संज्ञान साथ में लेकर चलता हूं
सारा हिंदुस्तान साथ में लेकर चलता हूं

अब भी दहक रही अंतस में हल्दीघाटी है
मुझको चंदन मेरे देश की पावन माटी है
भारत माता का वंदन ही राष्ट्र धर्म मेरा
गरिमामय जीवन कविता कवि की परिपाटी है
इस माटी की आन साथ में लेकर चलता हूं
सारा हिंदुस्तान साथ में लेकर चलता हूं

मैंने देश विभाजन देखा भाई ने भाई को मारा
मरवाये अनगिनत निहत्थे देखा डायर सा हत्यारा
जिनकी गाथाओं को सुनकर रोमांचित तन मन होता है
तन जाती हैं सौम्य भ्रकुटिया चढ जाता अंतस का पारा
फिर भी नया विहान साथ में लेकर चलता हूं
सारा हिंदुस्तान साथ में लेकर चलता हूं

देख रहा हूं आज टूटती सहन शक्ति की सब सीमाएं
बने सेकुलर कदम कदम पर ,प्रतिघातों के तीर चलाएं
और देश का आम आदमी मन ही मन में है अकुलाता
अवनति की है पराकाष्ठा कैसे मन की पीर छिपाएं
यही दुखद अवसान साथ में लेकर चलता हूं
मैं सच में तूफान साथ में लेकर चलता हूं

गौरवमय शौर्य हुआ जागृत और उसने ली है अंगड़ाई
इमरान सुने जिनपिंग सुनले हर दुश्मन की शामत आई
भारत माता के सब सपूत सीमाओं के रखवाले हैं
इटली वालों का समय गया हमने है स्वयं कसम खाई
भारत का उत्थान साथ में लेकर चलता हूं
सारा हिंदुस्तान साथ में लेकर चलता हूं

मैं वो नहीं विदूषक जो मन को बहलाता है
मादक मदिर मधुर शब्दों के तीर चलाता है
नहीं मागता मैं भिक्षा मंचों पर ताली की
बस मेरा अंतस जागृति के दीप जलाता है
गीता का सम्मान साथ में लेकरचलता हूं
मैं सच हूं तूफान साथ में लेकर चलता हूं

सारा हिंदुस्तान साथ में लेकर चलता हूं

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