प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के अभियान में मिला सेना को पहला तोहफा.
पुणे शहर के खड़की में स्थित एम्युनिशन (गोला बारूद) कारखाने में बीएसएफ के लिए बनाया गया 40 मिमी का अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (यूबीजीएल)। बुधवार को आयुध निर्माण बोर्ड के चेयरमैन हरि मोहन और ए. एफ. के. के जनरल मैनेजर एम के महापात्रा की मौजूदगी में इस पहले कंसाइनमेंट को हरी झंडी दिखा कर बीएसएफ को सौंप दिया गया।
यूबीजीएल यह एक 300 मिमी का ग्रेनेड लांचर होता है जिसकी मारक सीमा 28 से 400 मीटर होती है और यह 1 मिनट में पांच से सात राउंड फायर कर सकता है। इसे सैनिक अपनी इंसास राइफल 1बी और एके47 राइफल से जोड़ता है जिसकी मदद से दुश्मनों पर ग्रेनेड लांच किया जाता है।
इसे लांच करने के लिए सैनिक अपनी राइफल को अपने कंधे पर रख फायर करता है। कंधे पर रख कर फायर करने से सैनिक इसकी रिकॉल ऊर्जा को जेल पाता है।
यूबीजीएल के चार प्रकार होते हैं:
40 मिमी यूबीजीएल (प्रैक्टिस)
40 मिमी यूबीजीएल (हिप)
40 मिमी यूबीजीएल (एचईडीपी)
40 मिमी यूबीजीएल (आरपी)
ए.एफ.के ने जो बीएसएफ को सौंपा है वह 40 मिमी यूबीजीएल (प्रैक्टिस) है। इसे 5.56 मिमी इंसास राइफल की मदद से इस्तेमाल किया जाएगा। यह आम ग्रेनेड से कई मामले में बेहतर होता है। यह वजन में हल्का होता है। इसकी मारक सीमा 400 मीटर होती है। मतलब यह फायर करने पर 400 मीटर दूर बैठे दुश्मन को भी भेद सकता है। इसके मुकाबले आम ग्रेनेड की मारक सीमा केवल 30 मीटर ही होती है।
ए.एफ.के ने भारत के आत्मनिर्भर होने के प्रयास को बढ़ावा देते हुए इस 40 मिमी यूबीजीएल का देसी उत्पादन किया है। इसके निर्माण में इस्तेमाल हुआ हर एक पुर्जा हिंदुस्तानी उद्योगों से ही खरीदा गया है।
पी. आर. ओ. डिफरेंस नागपुर ने ट्वीट कर कहा कि इसी के साथ एसके ने बीएसएफ को यह कंसाइनमेंट पहुंचा एक नया अध्याय शुरू कर दिया है जिसने भारत को आत्मनिर्भर के साथ 40 मिमी यूबीजीएल का स्वदेशी उत्पादक बना दिया है।
भारतीय सेना और गृह मंत्रालय पहले इसकी खरीदी विदेशों से करती थी। तो देश में इसका उत्पादन शुरू करना बहुत ज़रूरी था। अब देश में हो रहे उत्पादन से भारत के कीमती विदेश मुद्रा की काफी बचत होगी।