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नागरिकता एक व्यक्ति और देश के बीच के संबंध को दर्शाती है। किसी व्यक्ति विशेष को किसी देश में मिलने वाले अधिकार तथा उत्तरदायित्व नागरिकता के सामाजिक सिद्धांत होते हैं।

भारत में भी नागरिकता प्राप्त करने के कुछ कानूनी तरीके हैं। नागरिकता और इससे जुड़े हुए कानून केंद्र सरकार के अंतर्गत आते हैं। भारत में राज्यों को इन विषयों पर निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए इन पर कानून बनाने का हक केवल केंद्र सरकार के पास है।

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भारतीय संविधान के अनुच्छेद 5 से अनुच्छेद 11 तक में, नागरिकता के बारे में कानून बनाए गए हैं। अनुच्छेद 5 से 10 नागरिकता की पात्रता को परिभाषित करते हैं। अनुच्छेद 11 नागरिकता के मामलों पर संसद को कानून बनाने का अधिकार देता है।

भारत में 4 ज़रिए हैं जिनके आधार पर नागरिकता प्रदान की जाती है:

1. जन्म के आधार पर

  • अगर कोई व्यक्ति जिसका जन्म 26 जनवरी 1950 के बाद और 1 जुलाई 1987 से पहले हुआ है तो वह जन्म से ही भारत का नागरिक माना जाता है।
  • जिस व्यक्ति का जन्म 1 जुलाई 1987 के बाद पर 7 जनवरी 2004 से पहले हुआ है और उसके माता या पिता में किसी के भी पास भारत की नागरिकता है तो वह भी भारत का नागरिक माना जाएगा।
  • इसी प्रकार जिसका जन्म 7 जनवरी 2004 के बाद हुआ है और उसके माता-पिता में से किसी एक के पास भारत की नागरिकता है, दूसरा अवैध प्रवासी नहीं है, तो उसे भारत की नागरिकता मिल जाएगी।

2. वंश के आधार पर

  • अगर किसी व्यक्ति का जन्म हिंदुस्तान के बाहर हुआ है लेकिन उसके अभिभावक भारत के नागरिक है तो उसे भी देश की नागरिकता मिल जाती है।
  • 3 दिसंबर 2004 के बाद से भारत के बाहर जन्मे व्यक्ति को नागरिकता नहीं मिलती यदि 1 वर्ष के अंदर उसका भारतीय वाणिज्य दूतावास में पंजीकरण ना किया जाए।

3. पंजीकरण के आधार पर

पंजीकरण के आधार पर जो व्यक्ति देश की नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं उनके लिए नियम कुछ इस प्रकार हैं:

  • भारतीय मूल का व्यक्ति जो आवेदन करने के सात साल पहले से ही भारत में रह रहा हो।
  • भारतीय मूल के वह व्यक्ति जो अविभाजित भारत यानी पाकिस्तान और बांग्लादेश के अलावा किसी और देश में रह रहे हों वह भी नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं।
  • यदि कोई किसी भारतीय नागरिक से शादी करता है और बशर्ते आवेदन के 7 साल पहले से भारत में रह रहा हो वह भी नागरिकता प्राप्त कर सकता है।
  • भारतीय नागरिकों के 18 साल से कम उम्र के बच्चे भी पंजीकरण द्वारा नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं।

4. देशीकरण के आधार पर

देशीकरण के आधार पर नागरिकता तब मिलती है जब कोई भी व्यक्ति 12 साल तक भारत में रहता है और साथ ही आवेदन देने के 1 साल पहले से भारत में रह रहा हो तो उसे नागरिकता हासिल हो सकती है।

आमतौर पर लोगों को लगता है कि राष्ट्रीयता और नागरिकता का अर्थ एक है लेकिन यह दोनों बिल्कुल अलग हैं।

राष्ट्रीयता एक व्यक्ति की पहचान होती है जो उसे किसी देश से प्राप्त होती है। राष्ट्रीयता व्यक्ति को देश में जन्म लेने के साथ ही मिल जाती है। आईए एक उदाहरण के साथ इसे समझते हैं।

जैसे सोनिया गांधी जो मौजूदा समय में भारत की नागरिक और कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष है। लेकिन उनका जन्म इटली में हुआ था तो मूल रूप से वह इटली की नागरिक हैं। उनकी राष्ट्रीयता इटालियन है।

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दूसरी ओर नागरिकता कई कानूनी कार्रवाईयों के बाद प्राप्त होती है इसके लिए किसी भी व्यक्ति को कुछ औपचारिकताओं को पूरा करना पड़ता है। हर देश की नागरिकता किसी भी व्यक्ति को सरकार द्वारा प्राप्त कराई जाती है। इसमें मताधिकार भी शामिल होता है। इसका एक उदाहरण है अदनान सामी जो मूल रूप से पाकिस्तान के निवासी हैं लेकिन भारत में कुछ कानूनी कार्रवाई के बाद उन्हें भारत की नागरिकता मिल गई है।

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भारतीय नागरिकता कानून के तहत भारत में मताधिकार उसी को प्राप्त होता है जिसके पास भारत की नागरिकता हो। यदि कोई भारतीय किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करता है तो भारतीय कानून के तहत उसकी भारतीय नागरिकता अमान्य हो जाती है। उसे एक निर्धारित समय के अंदर अपने सभी भारतीय दस्तावेज़ सौपने होते हैं। ऐसा न करने पर उस पर कड़ी कार्रवाई की जाती है।

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