सत्ता के गलियारों में नेताओं का दागी होना बिल्कुल वैसा ही है जैसे इंजीनियर बनने के लिए डिग्री। सफेद कुर्ते और खादी जैकेट में घूमने वाला हर नेता उतना सफेद नहीं होता। देश में नेता बनने के लिए डिग्री नहीं बल्कि 2 क्वालिटी चाहिए और वह है दागी और करोड़पति होना।
ऐसा कहने वाले हम नहीं हैं यह तो बिहार चुनाव में उतरे उम्मीदवारों के बैकग्राउंड बता रहे हैं। एडीआर की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में हर तीसरा उम्मीदवार दागी है या तो करोड़पति है। इस बार के बिहार चुनाव में कुल 3733 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। उसमें 1201 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके खिलाफ़ क्रिमिनल केस हैं और 1231 करोड़पति उम्मीदवार हैं।
बिहार में 3 चरणों में चुनाव हो रहे हैं हर चरण में कई ऐसे उम्मीदवार हैं जिनके खिलाफ क्रिमिनल केस हैं। पहले फेज में लड़ने वाले उम्मीदवारों में 328 उम्मीदवारों के खिलाफ़ क्रिमिनल केस है। दूसरे फेज में 502 और तीसरे फेज में 371 ऐसे उम्मीदवार हैं जिन पर क्रिमिनल केस है।
यह सिर्फ़ इस चुनाव की कहानी नहीं है, हर चुनाव में यही हाल रहता है। अगर बात करें 2015 और 2020 चुनाव की तो इस बार दागी उम्मीदवारों की संख्या बढ़ी है। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 2015 चुनाव में कुल 1038 दागी उम्मीदवार थे। इस बार यह संख्या बढ़कर 1201 हो गई है। महिलाएं भी कम नहीं है कुल 371 महिला उम्मीदवारों में 57 उम्मीदवार पर क्रिमिनल केस दर्ज है।
सत्ता के गलियारों में कोई भी पार्टी पूरी तरह से साफ नहीं है। चुनाव जीतने के लिए मैदान में मजबूत उम्मीदवार ही उतारना चाहते हैं भले ही उन पर क्रिमिनल केस क्यों ना हो।
2020 चुनाव में 12 ऐसे उम्मीदवार भी हैं जिनके खिलाफ रेप का केस है और 73 ऐसे जिन पर हत्या का केस।
हमारे देश में नेता बनने के लिए किसी डिग्री की जरूरत नहीं होती है फिर चाहे वह ग्रेजुएट हो या अनपढ़ नेता बन ही जाता है। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार कुल 15 उम्मीदवार ऐसे हैं जो अनपढ़ हैं। तो 1556 ऐसे जिन्होंने पांचवी से बारहवीं तक की शिक्षा प्राप्त की है। 1794 उम्मीदवारों ने ग्रेजुएशन कर रखी है। तो 322 ऐसे हैं जो सिर्फ लिखना पढ़ना जानते हैं और 32 डिप्लोमा होल्डर है।
जहां के नेता दागी और अशिक्षित रहेंगे वहां विकास कैसे होगा। यही मुख्य कारण है कि आजादी के इतने वर्षों के बाद भी बिहार आज बिछड़े हुए राज्यों में गिना जाता है और यहां के युवा शिक्षा और रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं। बिहार में सरकार तो बदलती रहती है पर हालात नहीं बदलते।