Source: Naidunia

कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन के दौरान लाखों बिहारी प्रवासी प्रदेश लौटे थे। उनके लौटने का मुख्य कारण था रोजी-रोटी की कमी। इन लौटे प्रवासियों की सरकार से कई शिकायतें हैं और नवंबर में हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव में इनका अहम योगदान होगा। इन लौटे प्रवासियों के नाम लाखों की संख्या में मतदान की सूची में जोड़े गए हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक इस बार नए मतदाताओं का आंकड़ा लगभग 57 लाख है जिसमें प्रवासी मतदाताओं की संख्या 16 लाख 24 हज़ार है।

बिहार चुनाव के इतिहास के मुताबिक चुनाव के दौरान कई प्रवासी अपने गांव लौट अपने मनपसंद प्रत्याशी के पक्ष में वोट डालते हैं। इस बार इतनी अधिक मात्रा में प्रवासियों की मौजूदगी उन सीटों की हार जीत में फेरबदल कर सकती है जहां वोटों का अंतर कम होता है।

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक बिहार के कई जिलों में लाखों और हज़ारों की संख्या में नए मतदाताओं के नाम सामने आए हैं। इसमें पूर्वी चंपारण और मधुबनी में एक लाख से अधिक मतदाता हैं। जबकि दरभंगा गया रोहतास पूर्णिया जैसे 12 जिले हैं जहां 50 हज़ार से अधिक नए प्रवासी मतदाता हैं।

चुनाव आयोग के मुताबिक बिहार में 7 करोड़ 29 लाख 75 हज़ार 565 मतदाता है जिसमें प्रवासियों की संख्या 16 लाख 24 हज़ार है।

Source: The Hindu

यह कुछ जिले और वहां बने नए प्रवासी मतदाताओं की सूची है-

जिला मतदाता बने प्रवासी

औरंगाबाद :  36824

भागलपुर :  44190

मधुबनी :  106605

पूर्वी चंपारण :  109108

मुजफ्फरपुर :  57732

मधेपुरा :  33837

किशनगंज :  36205

अररिया :  53819

लखीसराय :  10557

शिवहर :  14925

समस्तीपुर :  54024

रोहतास :  51460

पूर्णिया :  65141

सिवान :  34181

इस बार लाखों प्रवासी बड़ी कठिनाई झेलते हुए लॉकडाउन में अपने घर पहुंचे थे। उनका आक्रोश कई सीटों पर अहम भूमिका निभाएगा। 2015 विधानसभा चुनाव के नतीजों के मुताबिक बिहार में 60 सीटें ऐसी थी जिस पर हार जीत का अंतर 8000 या उससे कम वोटों का था।

अमूमन छठ और दीपावली मनाने प्रवासी अपने गांव तो लौटते ही हैं और साल के इस समय पलायन भी कम होता है तो इस दौरान हो रहे मतदान में प्रवासियों का मतदान फीसद जरूर बढ़ेगा। ऐसे में सभी राजनीतिक दल इन प्रवासियों को रिझाने में लगे हैं। उनके बच्चों को उचित शिक्षा और उन्हें अपने ही राज्य में रोजगार दिलाने के वादे किए जा रहे हैं। हर दिल को यह डर सता रहा है कि कहीं यह मतदाता उनकी जीत का समीकरण ना बिगाड़ दे।

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