Source: Dainik Tribune 

क्या है संसद में प्रश्नकाल और शून्यकाल का अर्थ

जया बच्चन ने हाल ही में शून्यकाल में नोटिस देकर ही बॉलीवुड को बदनाम करने की साज़िश का मुद्दा संसद में उठाया था।

भारतीय संसद (पार्लियामेंट) देश की विधानपालिका का सर्वोच्च निकाय है। इसमें राष्ट्रपति के साथ दो सदन लोकसभा और राज्यसभा होते हैं। प्रति वर्ष संसद के तीन सत्र होते हैं बजट सत्र (फरवरी से मई), मानसून सत्र (जुलाई से अगस्त) और शीतकालीन सत्र (नवंबर से दिसंबर)।

भारत में सरकार अपने प्रत्येक भूल के लिए संसद और संसद के द्वारा लोगों के प्रति उत्तरदाई होती है। संसद के सदस्य इसी अधिकार का इस्तेमाल कर लोक महत्वों के मामलों पर सरकार के मंत्रियों से जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रश्न पूछते हैं।

क्या होता है प्रश्नकाल?

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दोनों सदनों में बैठक शुरू होने पर 1 घंटे तक प्रश्न पूछे जाते हैं। जिसके जवाब सरकार में उस मुद्दे से संबंधित मंत्रालयों के मंत्री देते हैं। इसे प्रश्नकाल कहा जाता है। इस दौरान पूछे जाने वाले प्रश्नों के जवाब दो तरह से दिए जाते हैं लिखित और मौखिक।

जिन प्रश्नों का मौखिक उत्तर दिया जाता है उन्हें तारांकित प्रश्न कहते हैं और जिन प्रश्नों का उत्तर लिखित दिया जाता है उन्हें अतारांकित प्रश्न कहते हैं। प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए प्रश्नों से साफ़ हो जाता है कि मंत्रियों को अपने विभाग के कार्यकाल की कितनी समझ है।

प्रश्नकाल में प्रश्न पूछने के लिए सदस्यों को सदन के अध्यक्ष को नोटिस देना अनिवार्य होता है। इस नोटिस में पूछे गए प्रश्न से संबंधित मंत्रालय और मंत्री के नाम अथवा उत्तर देने की अवधि लिखी होती है। इस दौरान पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य होता है।

साल 2014 में राज्य सभा के चेयरमैन रहे हामिद अंसारी ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के समय को 11:00 बजे से बदलकर 12:00 बजे कर दिया था। तो अब लोकसभा में प्रश्नकाल 11:00 बजे से 12:00 बजे तक होता है और राज्यसभा में 12:00 बजे से 1:00 बजे तक।

1960 के दशक में प्रश्नकाल के दौरान पूछे जाने वाले सवालों की संख्या निर्धारित नहीं थी लेकिन वक्त के साथ अब इसमें बदलाव किया गया है। अब प्रश्नकाल के दौरान लोकसभा में केवल 20 तारांकित और 230 अतारांकित प्रश्न पूछे जाते हैं। तो वहीं राज्यसभा में तारांकित प्रश्न अतारांकित प्रश्नों की कुल संख्या 175 से अधिक नहीं होती जिसमें 20 प्रश्नों के उत्तर मौखिक रूप से दिए जाते हैं।

क्या होता है शून्यकाल?

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प्रश्नकाल की तरह नियमों में शून्यकाल का उल्लेख नहीं है। इसकी शुरुआत की गई ताकि तत्कालीन गंभीर मुद्दों को बिना पूर्व सूचना के उठाया जा सके। शून्य काल प्रश्न काल के तुरंत बाद शुरू होता है। लोकसभा में इसके लिए 12:00 बजे से 1:00 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है।

संसद के सदस्यों में से यदि कोई शून्यकाल के दौरान कोई मुद्दा उठाना चाहता है तो उसे सत्र शुरू होने से पहले लोकसभा अध्यक्ष को नोटिस देना अनिवार्य होता है। उस नोटिस में उस मुद्दे की संपूर्ण जानकारी होती है। अध्यक्ष के पास यह अधिकार होता है कि वह इस अर्जी को नकार भी सकता है।

अध्यक्ष की अनुमति से ही संसद में सदस्य अपना मुद्दा उठा सकते हैं।

लोकसभा में शून्यकाल के दौरान केवल 20 मुद्दों पर चर्चा करने की अनुमति होती है इन मुद्दों का चुनाव करने का हक केवल अध्यक्ष के पास होता है। इसी तरह राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान केवल 7 मुद्दों पर ही चर्चा करने की अनुमति होती है। राज्यसभा में शून्यकाल की अवधि मात्र 30 मिनट होती है। इस दौरान एक सदस्य को अपनी बात रखने के लिए केवल 3 मिनट का समय मिलता है।

शून्य काल की विशेषता यह है कि इस दौरान सदस्यों को अपनी बात रखने की पूर्ण स्वतंत्रता होती है फिर चाहे वह किसी भी पार्टी से ताल्लुक रखते हों। 

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