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त्याग दी सारी ख़्वाहिशें

कुछ अलग बनने के लिए
बहुत कुछ खोना पड़ा
राम से श्री राम बनने के लिए।
प्रतीक्षा है कलयुग मेँ
सतयुग के राम की।
राम राज्य स्थापित हो जाए
ना हो हानि प्राण की
मर्यादित रहने की है आवश्यकता
है कलयुग की प्राथमिकता
करे श्री राम का अनुसरण
मिल जाएगा समस्या का समाधान।

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