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लगा लो चाहे कितनी डिग्रियों का भंडार
लेकिन क्या इससे पा लोगे संसार
वाणी नियंत्रण का अभाव और लुप्त होते संस्कार
बनते हैं पतन का आधार
सम्मान लेने की केवल आशा ही नहीं
वाणी नियंत्रित रखने से सम्मान अर्जित कर पाओगे
अन्यथा तो बस सम्मान का नाम ही सोचते रह जाओगे
आत्मसम्मान को करके घायल
नहीं बन पाओगे सम्मान के काबिल
वाणी नियंत्रण और संस्कार से ही
पाओगे सम्मान की बहुमूल्य सौगात