यह कहानी है, एक ऐसे परिवार की जो गांव में रहता है, उनके गाँव का नाम रामपुर है, यह गांव शहर से बहुत दूर है। यह एक ब्रह्मण परिवार है, परिवार में माता - पिता, एक पुत्र और पुत्रवधू व उनका एक पोता है जो महज छ: माह का है। पिता का नाम राजेश कुमार, माता का नाम सावित्री बाई, पुत्र का नाम राजवीर और पुत्रवधू का नाम रागिनी व पोते का नाम सौरभ है।

उनके जीवनयापन का एक मात्र साधन खेती है। उनके पास एक भैंस भी है, जिसके दूध का उपयोग वो अपने घर के लिए करते हैं, बाकी बचे दूध को आस - पड़ोस के घर में दे दिया जाता है,गांव देहात में शहरों की तरह दूध - दही की किल्लत नहीं होती।

उनके दिन की शुरुआत सूर्य के अवतरित होने से पूर्व ही हो जाती है। पिता राजेश कुमार और पुत्र राजवीर रात्रि के बचे हुए भोजन को गृहन कर खेत में काम करने के लिए निकल जाते हैं। माता सावित्री बाई के जिम्मे भैंस की देख - रेख करना, भैंस के लिए चारा एकत्रित करना, चारा डालना,भूसा डालना, भैंस के लिए पानी की व्यवस्था करना, गोबर एकत्रित करना, गोबर के उपले बनाना इत्यादि है।पुत्रवधू रागिनी घर के काम जैसे भोजन बनाना, बर्तन एवं कपड़े धुलना, घर की साफ सफाई करती है।

सौरभ की देखभाल ज्यादातर सावित्री बाई ही करती थी, रागिनी को घर के काम से फुर्सत ही नहीं मिलती है और वो अभी मां भी बनी है ऊपर से उम्र भी कम ही है।

प्रतिदिन की भांति पिता और पुत्र खेत में काम कर रहे थे, शाम का वक्त था, वहीं उनके खेत में एक कुत्ता बेहोश पड़ा था, जब कुछ वक्त गुजरा तो उनकी नजर उस कुत्ते पर गई, पास जाकर देखा तो वह जीवित था, सांसे धीमें धीमें चल रही थीं। पिता पुत्र आस पास देखने लगे,मदद के लिए नजर दौड़ाने लगे लेकिन शाम होने की वजह से आस पास कोई दिखाई न दिया।उन्होंने उस कुत्ते को हिलाने डुलाने की कोशिश की, पीने के लिए पानी दिया, कपड़े में बंधी रोटी उसके सामने रख दी, इस उम्मीद में ताकि वो कुछ खा कर उठ खड़ा हो जाए। किन्तु उसने न तो पानी पिया और न ही रोटी खायी। वो निर्जीव - सा जमीन पर ही पड़ा रहा, कोई हलचल नहीं कर रहा था।कुछ देर तक वो दोनों उसे उठाने का प्रयत्न करते रहे,फिर दोनों ने घर जाने का निर्णय किया, क्योंकि अंधेरा ज्यादा होने लगा था,उन्हें लगा शायद ज्यादा गर्मी और बहुत दिनों तक भोजन न मिलने की वजह से वह कुत्ता बेसुध हो गया है, जब थोड़ा वक्त बीतेगा वह कुत्ता रोटी खाएगा व पानी पिएगा तब वह कुत्ता वहां से चला जायेगा यह सोचकर दोनों ने अपने घर की तरफ प्रस्थान किया।

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हर दिन की तरह, दूसरे दिन फिर दोनों खेत गए , तब वहां उन दोनों ने उस कुत्ते को वहीं खेत में पड़ा हुआ देखा।

राजेश कुमार और राजवीर दोनों उस कुत्ते को वहां खेत में पड़ा हुआ देखकर घबरा गए, सोचने लगे कि कहीं ये कुत्ता मर तो नहीं गया, राजवीर ने कहा कि पूरी रात बीत गई फिर भी अभी तक ये यहीं है,दोनों भागते हुए कुत्ते के पास पहुंचे।

कुत्ते की आंखें बंद थी, वो बेहोश पड़ा था, कुछ देर बाद राजवीर की नजर उस कुत्ते के पेट पर गई,उसके पेट पर मांस का एक बड़ा - सा टुकड़ा लटक रहा था,राजवीर को और उसके पिता को कुछ समझ नहीं आया कि यह मांस की तरह दिखने वाली चीज क्या है। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था, आनन - फानन में वो दोनों उस कुत्ते को गांव के ही एक डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टर साहब ने कुत्ते को चेक किया और बताया कि कुत्ता बहुत कमजोर हो गया है, इसे ग्लूकोज की बोतल लगा देता हूं,आपको यहां तब तक इंतजार करना होगा, इतने में ही राजवीर ने डॉक्टर साहब से हड़बड़ाते हुए कहा कि ये देखिए डॉक्टर साहब इसके पेट में ये क्या मांस की तरह लटक रहा है।

डॉक्टर साहब ने राजेश कुमार और राजवीर से कहा कि आप इस कुत्ते को किसी पशु चिकित्सक के पास ले जाइए, जहां इसका इलाज बहुत अच्छे से हो जाएगा और जल्द ही आराम भी मिल जाएगा।

पशु चिकित्सक ही कुत्ते का पूरा चेकअप करके बता सकते हैं कि इसे क्या हुआ है, कौन - सी बीमारी है। राजवीर ने कहा कि डॉक्टर साहब ये पशु चिकित्सक कहां मिलेंगे और खर्च कितना आएगा, हमारी आमदनी तो आपको पता ही है।

तब डॉक्टर साहब ने बताया कि शहर में एक पशु चिकित्सालय है जहां इसका इलाज मुफ्त में हो जाएगा,दवाइयां भी मुफ्त में ही मिल जाएगी, बस शहर आने - जाने का खर्च आएगा,आपको घबराने की जरूरत नहीं है, आप जितना जल्दी हो सके इसे उतना जल्दी पशु चिकित्सक के पास ले जाइए।

फिर राजेश कुमार और राजवीर उस कुत्ते को अपने घर ले गए जहां घर में पहुंचते ही सावित्री बाई और रागिनी ने उनसे घबराकर पूछा कि अरे!!!! ये क्या आपके गोद में ये कुत्ता.....

सब ठीक है ना, 

क्या हुआ, 

बताइए बताइए

हमें बहुत घबराहट हो रही है, कुछ समझ नहीं आ रहा है, ये सब क्या हो रहा है, जल्दी बताइए,कुछ बताते क्यों नहीं......

तब राजेश कुमार ने कहा कि शांत हो जाओ भाग्यवान सब कुछ बताता हूं,पहले हमारे लिए पानी तो ले आओ

और इस कुत्ते के लिए भी पानी,दूध व बिस्कुट लेकर आओ और यदि कुछ भोजन भी बचा हो तो वो भी ले आना, शायद कुछ खा ले!!!!

देखो ना, बेचारा कितने दर्द में है कुछ बोल भी नहीं पा रहा है, इसके आंसू देख रही हो!!

फिर पानी और गुड़ का सेवन करने के बाद राजेश कुमार और राजवीर ने पूरा वाक्या विस्तार से सावित्री बाई व रागिनी को बताया।

कुछ दिनों बाद राजेश कुमार और पुत्र राजवीर शहर गए, कुत्ते को साथ लेकर। शहर पहुंच कर पशु चिकित्सालय का पता लगाने लगे और मन ही मन में कुत्ते के इलाज का खर्च व किराए का खर्च चल रहा था, डॉक्टर साहब ने कहा तो है खर्च नहीं करना होगा परन्तु जब मन माने तब तो, न जाने कितने पैसे लग जाएंगे, इलाज अच्छे से तो हो जाएगा, कहीं डॉक्टर साहब इलाज की फीस व दवाईयों का खर्चा न मांग ले, ऐसे ही कई सवाल दोनों के मन में बार - बार आ रहे थे।

जैसे - तैसे लोगों से पूछ कर दोनों कुत्ते को लेकर अस्पताल पहुंचे, कुछ देर इंतजार करने के बाद उनका नंबर लगा।

तब डॉक्टर साहब ने कुत्ते को देखते ही बताया कि यह कैंसर है, ऑपरेशन करना होगा।

राजेश कुमार और राजवीर दोनों ने बहुत ही आश्चर्य से डॉक्टर साहब से पूछा कि ये तो एक कुत्ता है, इसे कैसे कैंसर हो सकता है।

तब डॉक्टर साहब ने बहुत ही सरल शब्दों में बताया कि जिस तरह इंसान के खान - पान और वातावरण में बदलाव आया है, ठीक उसी प्रकार जानवरों के भी खान - पान में परिवर्तन आया है।

आजकल लोग फास्ट फूड का उपभोग बहुत ज्यादा करते हैं, बचे हुए भोजन को पॉलीथिन में फेक देते हैं, वायु प्रदूषण भी अपनी चरम सीमा पर है, इन्हीं सब का असर इन्सान और जानवर दोनों पर ही पड़ रहा है, जिस वजह से यह गंभीर बीमारी इन्सानों और जानवरों को अपनी चपेट में बहुत तेजी से ले रही है।

राजेश कुमार और राजवीर दोनों घबरा रहे थे, तब डॉक्टर साहब ने समझाया कि कोई घबराने की बात नहीं है, अभी तो कैंसर का दूसरा चरण है, जितने जल्दी ऑपरेशन होगा उतने जल्दी ही यह ठीक होने लगेगा,आप आज ही कुत्ते को एडमिट कर दीजिए, हम शाम को ऑपरेशन शुरू कर देते हैं,बस ऑपरेशन होने तक आपको रुकना होना,ऑपरेशन के बाद आप कुत्ते को लेकर जा सकते हैं,बस कुछ सावधानियां बरतनी होगी।

इतने में राजवीर ने डॉक्टर साहब से तपाक से पूछ ही लिया, खर्च कितना होगा, हम गरीब हैं, हमारे पास ज्यादा पैसे नहीं हैं।

तब डॉक्टर साहब ने मुस्कुराकर कहा कि इलाज पूरी तरह से मुफ्त है और दवाइयां भी मुफ्त ही मिलेंगी, आपको पैसों की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।आप कुत्ते को इलाज के लिए गांव से शहर ले आए, न ही आपको अस्पताल का पता था और न ही खर्च का, एक जानवर की जान बचाने के लिए आपने जो कुछ किया है वह बहुत बड़ी बात है।

यह सब सुनकर राजेश कुमार और पुत्र राजवीर के मन को शांति मिली, फिर शाम को कुत्ते का ऑपरेशन शुरू हुआ, कुत्ते को बेहोशी का इंजेक्शन दिया गया था जिससे उसे दर्द न हो, कई घंटों तक ऑपरेशन चला और उस मांस के टुकड़े को ऑपरेशन के दौरान काटकर अलग कर दिया गया।

जब उस मांस के टुकड़े को काटकर अलग किया गया उसमें से बहुत सारा कचड़ा पानी के रूप में निकल रहा था और थोड़ा खून भी, जिसे देखकर राजेश कुमार व राजवीर की आंखे नम हो गई।

5 घंटे तक ऑपरेशन चला, रात भर कुत्ते को डॉक्टर की निगरानी में रखा गया। फिर सुबह डॉक्टर साहब ने राजवीर को दवाईयों के बारे में समझाया कौन - सी दवाई जख्म पर लगानी है,कौन - सी दवाई खिलानी है और किस तरह से खिलानी है, डॉक्टर साहब ने कुछ डॉग फूड भी दिए और उन्हें कितनी मात्रा में देना है , किस प्रकार देना है यह सारी बातें समझाए। डॉक्टर साहब ने राजेश कुमार से कहा कि यदि घर जाने के बाद कुत्ते को कोई दिक्कत आए, तो आप अस्पताल में फोन करके जानकारी ले सकते हैं, या हम अस्पताल से किसी स्टाफ को भेज देंगे वह घर जाकर चेक कर लेंगे। 

फिर दोनों ने डॉक्टर साहब का शुक्रिया अदा किया और कुत्ते को लेकर वापस अपने गांव आ गए। घर पर कुत्ते की सेवा में सभी जुट गए समय - समय पर मरहम लगाना, दवाईयां खिलाना, भोजन देना,जख्म को साफ करना इत्यादि का ख्याल सबने अच्छे से रखा। जिससे कुत्ते के स्वस्थ में लगातार सुधार आने लगा, घर के सभी सदस्य उस कुत्ते को एक बच्चे की ही तरह प्यार करते थे, जैसे कोई नन्हा बच्चा हो गोद में लेकर लाड करते थे,इतनी सेवा के बाद कुछ ही महीनों में कुत्ता पूरी तरह स्वस्थ हो गया व एक सामान्य कुत्ते की तरह दौड़ने लगा और शरारती भी हो गया था। उसे सब प्यार से छोटू बुलाते थे,घर के माहौल में वह पूरी तरह से घुल - मिल गया था, छोटू को सबसे ज्यादा मजा तो सौरभ के साथ ही खेलने में आता था ,छोटू का नहाना, खाना, सोना सब सौरभ के साथ ही होता था, सावित्री बाई तो छोटू को सौरभ का बड़ा भाई कहती थी।

छोटू घर के कई काम भी सीख गया था जब भी कोई छोटू को कोई सामान लाने के लिए कहता तो वह तुरंत दौड़कर लाकर देता था। छोटू उस घर का एक सदस्य है, कोई पालतू जानवर नहीं, यह बात गांव में सभी जानते थे और मानते भी थे।

इंसान हो या फिर जानवर सब प्यार के भूखे होते हैं, प्यार एक ऐसा भाव है जो किसी के भी अंतर्मन को जीत सकता है। किसी की मदद करने की नियत होनी चाहिए फिर चाहे वो इंसान हो या जानवर, अमीर हो या फिर गरीब यह सब मायने नहीं रखता है। ईश्वर ने भावनाएं सभी में निहित को हैं बस उन्हें समझने की जरूरत है।

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