Image by Gerhard from Pixabay 

मै वर्मा सुमन फिजिओथेराॅपिस्ट् हू। मेरा काम है, लोगो के दर्द को कम करना।मुझे इस धरती पर रहते सभी जीवजंतु से बहुत लगाव है।मेरे मन के अहसास को समझा नही सकती। पर बता सकती हुँ।हम सब इस कुदरत की रचना है। हमे इंसानो से या जानवरो से भेदभाव नही करना चाहिए।

मै प्राणी पर एक कविता लिख रही है। जिससे आप प्राणियों के मन की बात समझ सको। 

मै भी एक प्राणी हुँ।
मुझ मे भी जीव प्राण है,
मै बसता हु इस धरती पर,
क्यों जलाते है क्रूर हमारी बसती,
मिटाते है हमारा अस्तित्व,
मै भी एक प्राणी हु।
हमारे भी सपने है,
हमारे भी अपने है,
ए क्रूर हमे दुख दे कर,
कहाँ से पाओगे सुख,
मै भी एक प्राणी हुँ।
मेरे भी बच्चे है,
दिल के सब अच्छे है।
हमे बेवजह मारने वाले शर्म करो।
भगवान के लिए अच्छे कर्म करो।
मै भी एक प्राणी हुँ।
हम नही समझते पैसों की भाषा,
खाने की रखते है, मन में आशा,
क्यों नहीं समझते लोग हमे,
हा, मै भी एक प्राणी हुँ।  

शायद आप इस कविता को पढ़ कर या सुनकर प्राणी के मन की बात समझ सको।

कभी कभी प्राणियों पर क्रूरता करते लोग को देख कर मै सोचती हुँ, मेरा इस धरती पर जन्म ही क्यों हुआ। क्या भगवान को दया नही आती। वो कैसे ये सब देख सकते हैं।

मैने बिल्ली को पाला है। जिसके साथ मे हमेशा खेलती हुँ।उसका ध्यान रखती हूँ।मै अपने मोहले की बात कहती हूँ। शायद यह बात सब जगह सुनने को मिलती होगी। सबसे पहली बात जानवर किसी के घर मे तभी जाता है, जब उसे खाने की तलाश हो। भूख सबको लगती हैं। 

 हमारे यहाँ घर के दरवाजे खुले रहते है, सब काम करते रहते हैं।कुत्ता अगर घर मे आ जाए तो लोग डंडा लेकर मारते हैं। ये भी कोई बात हुई। इसमे कुत्ते की क्या गलती है। उसे भूख लगी आपके घर का दरवाजा खुला है। तो वो आ गया। आप खुदका दरवाजा बंद रखते तो वो नही आता।

यह तस्वीर मे भूख से बिल्कलाते कुत्ता है। यह तस्वीर अहमदाबाद की है। 

 इसका केवल एक ही उपाय है। मोहले मे कुत्ते को खाना दिया जाए। एक थाली और एक कटोरी बाहर रख दी जाए। उसमे हर रोज खाना और दूध दिया जाए।घर के बाहर एक मे पानी रखा जाए। वो भी अपनी वफादारी दिखाएंगे। इससे कुत्ते को खाना भी मिलेगा और इसमे से कोई आपके घर मे भी नही घुसेगा।

इस तरह बेघर रहने वाले, रोड पर चलने वाले कुत्ते के लिए भी इसी तरह से मदद करनी चाहिए। 

आजकल राह पर घूमते गाय से बहुत सारे हादसे के किस्से सुनने मै आते हैं। सड़क पर गाय के खड़े होने से ट्राफिक की भी परेशानिया होती हैं। ना जाने ये घूमते गाय और साड से कितने ही लोगो के साथ दुर्घटना हुई है। पशुओ की भी जान गई है। तो क्यो न इसका उपाय निकाला जाए।

सड़क पर घूमती गाय  यह तस्वीर नवभारत टाइम्स में से ली गई है। यह वड़ोदरा के वहा की तस्वीर है। 

          सड़को पर घूमते पाशुओ के लिए एक बड़ा गौशाला बनाना चाहिए। जिससे सारे पशु वही पर रहे। लोगों का जो खाना बच जाता हैं वे फेकने से बेहतर है। इन पशुओ को खिलाया जाए। पानी की भी व्यवस्था करना चाहिए। इस तरह प्राणी को बचाया जा सकता है। लोगो को भी कोई समस्या नही होगी।

यह अहमदाबाद के बंसी गिर गौशाला की तस्वीर है। घूमते गाय और साड की रहने और खाने की व्यवस्था 

            जंगल के प्राणी के लिए भी खाना और पानी की व्यवस्था करना चाहिए। जिससे वे प्राणी खाने की तलाश मे गाव मे न घुस आये। अगर कोई जंगली प्राणी गाव मे घुस आए तो आप उस जंगली प्राणी को नुकशान मत पहुँचाओ। आप उस जानवर से डरते है। वैसे ही वो भी आपसे डरता है। आप तुरंत जंगल के अधिकारी को फोन करो और उन्हे जानकारी दो।

पशुओ की भी रक्षा करना हमारा कर्तव्य हैं। क्या पता हमारे इस कर्म से भगवान् भी खुश हो जाए।

.    .    .

Discus